नई दिल्ली। क्या मशीन इंसानों की जगह ले सकती है? यह सवालों लंबे समय से बहस का मुद्दा बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर, एआई टेक्नोलॉजी का तेजी से विकास इंसानों की नौकरियों पर खतरा बनता नजर आ रहा है।
विकसित ही नहीं, विकासशील देशों में भी इसका प्रभाव देखने को मिला है। बीते 10 सालों में विकासशील देशों की तस्वीर बदली हैं।
इंसानों की जगह रोबोट ले रहे हैं और इसका परिणाम बढ़ती बेरोजगारी बन रही है।
10 वर्षों में बदली चीन की तस्वीर
विश्व अर्थव्यवस्था रैंकिंग में दूसरे स्थान पर रहने वाले देश चीन की ही बात करें तो ऑटोमेशन के साथ पिछले एक दशक में यहां की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है।
चीन की वर्तमान स्थिति को लेकर अमेरिकी थिंक टैंक इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड इन्नोवेटिव फाउंडेशन (आईटीआईएफ) की एक लेटेस्ट रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में चीन को लेकर कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
बेरोजगारी की वजह बन रहे हैं रोबोट
इस रिपोर्ट के मुताबिक रोबोट की वजह बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव चीन पर पड़ा है।
चौंकाने वाले तथ्यों में सामने आया है कि जानकारों ने अलग-अलग उद्योंगों में काम कर रहे रोबोटों की संख्या का जिनता अनुमान लगाया था वह इससे 12.5 गुना ज्यादा है।
ऑटोमेशन की ओर बढ़ रहे चीन की स्थिति ऐसी है कि यहां लगभग हर उद्योग में इंसान की जगह रोबोट काम कर रहे हैं।
सबसे चौंकाने वाले तथ्यों में एक यह कि दुनिया भर के उद्योगों में काम करने वाले कुल रोबोटों का 52 प्रतिशत चीन में कार्यरत हैं।
आईटीआईएफ के अध्यक्ष और इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले रॉबर्ट डी एटकिंसन कहते हैं कि रोबोटों की यह संख्या पिछले 10 वर्षों में बढ़ी है। एक दशक पहले रोबोटों की यह संख्या 14% थी।
रोबोट को लेकर अमेरिका की स्थिति
विश्व अर्थव्यवस्था रैंकिंग 2024 के अनुसार सबसे अधिक जीडीपी राशि वाले देशों की सूची में 105 ट्रिलियन डॉलर में अमेरिका शीर्ष स्थान पर है।
वहीं रोबोट को लेकर यहां केवल कुल जरूरत का केवल 70 प्रतिशत ही इस्तेमाल हो रहा है।
चीन दूसरे विकसित देशों पर है निर्भर
रिपोर्ट की मानें तो चीन की रोबोट इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर के लिए अभी भी आत्मनिर्भर नहीं है। सॉफ्टवेयर के लिए चीन जापान और अमेरिका जैसे विकसित देशों पर ही निर्भर है।
वहीं, रोबोट इंडस्ट्री का सबसे ज्यादा खर्च लगभग 80 प्रतिशत सॉफ्टवेयर से ही जुड़ा है।