….क्या फिर से अंधेरे में होगा मतदान?

रायबरेली। पिछले चुनावों में बिना बिजली कनेक्शन वाले विद्यालयों में मतदान कार्मिकों को दिक्कतें झेलनी पड़ी थीं। इसके बावजूद सबक नहीं लिया गया है। परिषदीय विद्यालयों में भी हाईटेक पठन पाठन पर जोर दिया जा रहा है।

स्मार्ट क्लासेस से लेकर, प्रोजेक्टर, स्मार्ट टीवी, साउंड सिस्टम आदि की व्यवस्थाएं हो रही हैं, लेकिन कई विद्यालय ऐसे हैं जहां इन संसाधनों की सुविधा नहीं मिल पा रही है। कारण, विद्यालयों में बिजली कनेक्शन नहीं है। ऐसे में विद्यार्थियों को कम रोशनी में पढ़ाई करनी पड़ रही है, इसके साथ ही अब इन्हीं विद्यालयों में मतदान कराने की तैयारी है।

करीब 193 विद्यालय ऐसे हैं जिनमें विद्युत कनेक्शन नहीं है। कई पुराने स्कूलों में इस तरह के कक्ष हैं कि उनमें पर्याप्त रोशनी नहीं रहती है। बच्चों को बरामदें में बैठाकर या अन्य तरीकों से पढ़ाई तो किसी तरह करा देते हैं, लेकिन सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। गर्मियों में समस्याएं और बढ़ जाती हैं। इन विद्यालयों के मतदान केंद्र बनने पर मतदान कर्मियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

कभी-कभी तो कई जगह उन्हें मोमबत्ती या पेट्रोमैक्स जलाकर काम निपटाने को मजबूर होते हैं। बिजली कनेक्शन के लिए सभी स्कूलों का करीब 1.63 करोड़ का एस्टीमेट बनाकर निदेशालय भेजा गया है। अभी स्वीकृति मिलने का इंतजार है। लोकसभा चुनाव करीब होने के कारण उम्मीदें भी हैं कि शायद इन स्वीकृति मिलने के साथ ही काम भी तेजी से करा दिया जाए।

इन विद्यालयों की बढ़ी सुविधाएं

प्राथमिक विद्यालय घीसीगढ़, कंपोजिट स्कूल सत्य नगर, कंपोजिट स्कूल चक अहमदपुर, प्राथमिक विद्यालय डीह समेत सैकड़ों विद्यालय हैं, जहां विद्युत कनेक्शन होने के कारण सुविधाएं भी बढ़ गई। शिक्षकों ने खुद के खर्च पर या फिर जनसहयोग से व्यवस्थाएं कराई।

विद्यालयों में कनेक्शन के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। प्रयास है कि सभी स्कूलों में कनेक्शन हो सके, ताकि स्कूलों की सुविधाएं बढ़ाई जा सके। जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिले। -शिवेंद्र प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी

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