नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 फरवरी,2024 दिन गुरुवार को उज्जैन में विश्व की पहली वैदिक घड़ी का उद्घाटन किया है, जो ज्योतिषियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। साथ ही उज्जैन आने-जाने वाले लोगों के लिए यह आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी बन गया है। तो आइए इस वैदिक घड़ी के बारे में विस्तार से जानते हैं, जो इस प्रकार है –
वैदिक घड़ी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
संस्कृति और विज्ञान को समेटे हुए धार्मिक नगरी उज्जैन में वैदिक घड़ी स्थापित की गई है, जो भारतीय पंचांग के आधार पर समय को बताएगी। इस सर्वाधिक विश्वसनीय प्रणाली को उज्जैन में फिर से स्थापित किया जा रहा है, जिससे लोग इस विश्वसनीय प्रणाली से जुड़े रहें।
60 नहीं इतने मिनट का होगा एक घंटा
यह घड़ी उज्जैन में जंतर-मंतर के भीतर सरकारी जीवाजी वेधशाला के निकट 85 फुट ऊंचे टॉवर पर लगी हुई है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह धीरे-धीरे राशिफल भी बताएगी। बता दें, यह वैदिक घड़ी पूर्ण रूप से डिजिटल है, जिसमें एक घंटा 48 मिनट का होगा और एक दिन में 24 नहीं बल्कि 30 घंटे होंगे। इसके साथ ही यह मुहूर्त के बारे में भी बताएगी।
वैदिक घड़ी के लिए उज्जैन को ही क्यों चुना गया ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उज्जैन को एक समय भारत का केंद्रीय मध्याह्न रेखा माना जाता था। दरअसल, यह रेखा पृथ्वी की सतह पर एक काल्पनिक रेखा है, जो उसे दो भागों में विभाजित करती है। वहीं, यह शहर देश के समय अंतर को निर्धारित करता था। यह हिंदू पंचांग में समय का आधार भी है।