दिल तो जीता है, अबकी चुनाव भी जीतेंगे तनुज पुनिया ?

कांग्रेस और सपा के गठजोड़ से इंडिया गठबंधन निकलेगा जीत का रास्ता

बाराबंकी। तनुज पुनिया और कांग्रेस पार्टी के उभरने से मायावती चिंतित हैं। उनको लग रहा है मान्यवर कांशीराम के साथ साथ डॉ भीमराव अंबेडकर की विरासत का भी दावेदार पैदा हो गया है। ध्यान रहे मायावती ने अंबेडकर और कांशीराम की विरासत का उत्तराधिकारी अपनी ओर से अपने भतीजे आकाश आनंद को बनाया है। आकाश के पास बहुजन समाज पार्टी का पूरा ढांचा है। वहीं कांग्रेस के पास राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता और तनुज पुनिया की जनता में गहरी पैठ है। तभी मायावती लगातार कांग्रेस पार्टी को कमजोर करने का मौका खोजती रहती हैं। यही वजह है कि वह इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनने से कतराती रही है।

आज तनुज पुनिया सूबे में नहीं तो, कम से कम बाराबंकी के आस पास के दलित बाहुल्य जनपदों में युवा दलित शक्ति का चेहरा माने जाते हैं। पोस्‍टर बॉय जैसे। उनका डेब्‍यू भी वैसा ही हुआ। राजनीतिक दलों को पता है कि एक दलित युवा की लोकप्र‍ियता का राजनीतिक मूल्‍य होता है। साल 2012 से सक्रिय राजनीति में पदार्पण करने वाले युवा दलित नेता तनुज पुनिया ने समाज में अपनी अलहदा पहचान बनाई है।

वर्तमान में कांग्रेस पार्टी, तनुज पुनिया को बीएसपी प्रमुख मायावती के भतीजे और बसपा के उत्तराधिकारी आकाश आनंद का प्रमुख प्रतिद्वंदी नेता माना रही है। जिस कारण तनुज सूबे की दलित सियासत में एक बड़ा और प्रभावी युवा चेहरा बनकर उभरे हैं। इधर कुछ समय से दलित राजनीति सूबे में हाशिये पर है, जोकि कभी सत्ता के इर्द गिर्द ही रहा करती थी। इसके बहुत से कारण है। जिन पर फिर कभी विस्तृत में विचार विनिमय करूँगा।

बहरहाल, कांग्रेस के कद्दावर नेता सांसद पी.एल पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया दलित राजनीति के एक बेदाग़ चेहरे साबित हो रहे हैं। संघर्ष करने की प्रेरणा और जुझारूपन उन्होंने अपने पिता से सीखा है। तनुज एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम है जो हार में भी जीत को हासिल करने की जिद्दोजहद में लगे है। दलित उत्पीड़न हो या शोषण, सामाजिक अन्याय हो या गरीबों पर अत्याचार तनुज की कोशिश होती है कि उन मुद्दों को राजनीति से अलग हटकर मानवीयता के आधार पर लड़ा जाए। यही संघर्ष और जुझारूपन ही राजनीति में उनकी असली ताकत है। राजनीति का ककहरा तनुज ने अपने पिता से सीखा और कांग्रेस में प्रमुख पदों पर रहते से समाज और संगठन का प्रतिनिधित्व किया।

कांग्रेस लीडर तनुज पुनिया का जनता से सीधे जुड़ाव, लगभग हर विषय पर कुछ अलग ज्ञान और सबसे बढ़ कर नए लोगों से खासकर युवा पीढ़ी से तालमेल बिठाने की अद्भुत क्षमता का लोहा तो हर कोई मानता है। अब कितने ही कम लोग बचे हैं जिनके सामने आप दिल खोलकर बोल सकें। मानवीय संवेदनाओं के साथ-साथ वास्तविकता को समझने वाले मुट्ठीभर लोग ही बचे हैं। कुछ लोग धन से धनी होते हैं, मगर तनुज सम्बन्धो के धनी है। हर किसी के लिए मौजूद और हर एक उनके लिए मौजूद। तनुज ख़ुद को हर खाँचे से दूर किये सबके लिए बेहतर सोच के मालिक हैं।

बातें बहुत सी हैं कहने को, मगर जिस एक बात ने मुझे बहुत प्रभावित किया, वह है इंडिया गठबंधन। लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही विपक्षी दलों का गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) आकार ले चुका है। इस इंडिया गठबंधन के समझौते में कांग्रेस को बाराबंकी 53 लोकसभा (सु.) सीट मिली है। अब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को आसान होगा एक ऐसे युवा नेता का चयन करना, जो एनडीए का विकल्प साबित हो, और इंडिया गठबंधन की जीत का परचम लहराए। ऐसे में स्थानीय लोगों ने कांग्रेस के लोकप्रिय दलित नेता तनुज पुनिया को ही कांग्रेस पार्टी का संभावित उम्मीदवार माना है। जिन्होंने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में इंडिया गठबंधन को मजबूती प्रदान करते हुए कांग्रेस उम्मीदवार को जीत दिलाने का संकल्प लिया है।

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