मेरठ। गृहकर कम कराने के नाम पर रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद भी नगर निगम का कर अनुभाग भ्रष्टाचार को खत्म करने के बजाय बढ़ावा दे रहा है। निगम अधिकारियों ने रिश्वत की डेढ़ लाख रकम से 1.40 लाख की रसीद काट दी, ताकि दर्शाया जा सके कि यह रकम रिश्वत में नहीं ली गई थी। दूसरी ओर, एंटी करप्शन की टीम ने कर निरीक्षक अनुपम राणा को भी आरोपित बनाया है।
धरपकड़ के लिए देहलीगेट पुलिस को आदेश दिए गए हैं। नगरायुक्त डा. अमित पाल शर्मा ने आरोपित दोनों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। कर निरीक्षक पर कार्रवाई के लिए स्थानीय निकाय के निदेशक को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
नगर निगम ने भेजा चार लाख का नोटिस
सुधांशु महाराज की ईव्ज चौराहे पर नग और रत्न की दुकान है। नगर निगम के कर अनुभाग की तरफ से उनको चार लाख का नोटिस भेजा गया। एक माह पहले नगर निगम के कर निरीक्षक अनुपम राणा टीम के साथ रकम वसूली के लिए पहुंचे। सुधांशु महाराज से तय हुआ कि चार लाख के बदले में उन्हें दो लाख छह हजार रुपये देने होंगे। नगर निगम उन्हें 56 हजार की रसीद दी। बाकी डेढ़ लाख की रकम बतौर रिश्वत रखी गई।
एंटी करप्शन की टीम ने की थी गिरफ्तारी
एंटी करप्शन की टीम ने कर विभाग में छापा मारकर डेढ़ लाख की रिश्वत के साथ लिपिक दीपक निवासी सतवाई थाना रोहटा, अनुचर राहुल गौतम निवासी जागृति विहार को गिरफ्तार किया था। अनुपम राणा को भी आरोपित बनाया। उसके इशारे पर ही राहुल ने रकम वसूली थी। इसके बाद भी नगर निगम के अधिकारियों ने आरोपितों को बचाने के लिए 1.40 लाख की रसीद काट दी।
एंटी करप्शन की तरफ से मुकदमे की वादी इंस्पेक्टर अंजू भदौरिया का कहना है कि उनके पास कर अनुभाग के कर्मचारियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। बरामद डेढ़ लाख की रकम बतौर रिश्वत मांगी गई थी। बाद में भले ही निगम के अधिकारी 1.40 लाख की रसीद काट दें, एंटी करप्शन पहले सबूत जुटाकर ही आपरेशन करता है। आपरेशन की अनुमति भी डीएम से ली जाती है। दो आरोपितों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है।
कर निरीक्षक अनुपम राणा की धरपकड़ के लिए देहलीगेट थाना पुलिस को कहा गया है। गृहकर मूल्यांकन पर अपर नगर आयुक्त और कर अधिकारी के घटा दिए अधिकार नगर आयुक्त डा अमित पाल शर्मा ने बताया कि गृहकर की प्रत्येक पत्रावली पर उनकी नजर रहेगी।
कंकरखेडा जोन के लिए अपर नगर आयुक्त (प्रथम), शास्त्रीनगर जोन के लिए अपर नगर आयुक्त (तृतीय) व मुख्यालय जोन के लिए अपर नगर आयुक्त (द्वितीय) को जिम्मेदारी दी गई है। पांच लाख से अधिक की वार्षिक मूल्यांकन का कार्य पहले मुख्य कर निर्धारण अधिकारी करेंगे फिर मुख्य नगर लेखा परीक्षक व संबंधित जोन के अपर नगर आयुक्त/ सहायक नगर आयुक्त की संयुक्त होगी। अंतिम हस्ताक्षर उन्हीं के होंगे। उन्होंने बताया कि गृहकर के वार्षिक मूल्यांकन की फाइल निस्तारित करने के लिए अपर नगर आयुक्त को 20 लाख रुपये तक का अधिकार था, इसे घटाकर पांच लाख रुपये तक सीमित किया गया है।
कर निर्धारण अधिकारी व मुख्य कर निर्धारण अधिकारी को तीन लाख रुपए तक की फाइल का अधिकार था, जिसे 1.50 लाख रुपये तक सीमित कर दिया गया है। जोनल प्रभारी अपने जोन में 50 हजार रुपये तक मूल्यांकन कर सकेंगे। 50 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक मुख्य कर निर्धारण अधिकारी व कर निर्धारण अधिकारी के माध्यम से होगा। डेढ़ लाख से पांच लाख रुपये तक का मूल्यांकन अपर नगर आयुक्त करेंगे।