आचार्य नरेन्द्र देव टीचर्स ट्रेनिंग कालेज ने की पहल
सीतापुर/आचार्य नरेंद्र देव टीचर्स ट्रेंनिंग कॉलेज द्वारा आयोजित एवं आइ सी एस एस आर नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित आदिवासी सशक्तिकरण विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार सम्पन्न हुआ। समापन सत्र में तीन स्थानों पर तकनीकी सत्र चलाए गए जिसकी प्रो सुभाष चंद्रा, प्रो विशाल द्विवेदी, प्रो ज्ञानेंद्र तिवारी केंद्रीय विश्वविद्यालय नागालैंड एवं प्रो विशाल द्विवेदी के द्वारा की गई जिसमें लगभग 80 शोधपत्र प्रस्तुत हुए। सिंपोजियम की चेयरपर्सन प्रो अंशु केडिया प्राचार्या खुन खुन्न जी महाविद्यालय, लखनऊ रहीं। इसमें प्रो मनोज पांडे जे एन पीजी कॉलेज, लखनऊ , प्रो वैभव सबनीश, महाराष्ट्र, प्रो सुभाष चंद्रा लखीमपुर खीरी, डॉ गगन कुमार, सीतापुर रहे। समापन सत्र के चेयर पर्सन प्रो सुभाष अग्रवाल, कानपुर जिसमें पूरे भारत के बिभिन्न राज्यों के विद्वानजनों ने सहभागिता की और इस सेमिनार से संबंधित उपयोगी और सार्थक मुद्दों पर और उनकी चुनौतियों पर चर्चा और परिचर्चा की जिसमे कई विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के शिक्षकों ,छात्र छात्राओं ने सहभागिता की इस पर चर्चा में चेयर परसन प्रोफेसर सुभाष चंद्र अग्रवाल अग्रवाल जी पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकाय अध्यक्ष शिक्षा विभाग छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर उपास्थित् रहे। इस सेमीनार का थीम न्यू विजन फॉर ट्राईबल एंपावरमेंट स्ट्रैटेजिज ऑपच्यरुनिटी एंड चैलेंजिस थ। जिसमें प्रोफेसर सुभाष चंद्र अग्रवाल साहब ने निष्कर्ष रूप में यह बताया कि जो अनुसूचित जनजातियों से संबंधित मुद्दे हैं जैसे की जल, जंगल,जमीन उन पर उनका अधिकार है । राष्ट्रीय सेमिनार के समापन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर के.के. जी जो की शिक्षा एवं विज्ञान संकाय विश्वविद्यालय बरेली ने इस विषय पर बृहद प्रकाश डाला और पूरे भारत की जो अनुसूचित जनजातियों हैं उनकी प्रमुख चुनौतियों पर बात की । जैसे की उनका समुचित बिकास, समुचित बिजली समुचित शिक्षा समुचित संसाधनों का सार्थक उपयोग करने का अवसर मिले और उनकी अपनी संस्कृति है । विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर यशपाल शिक्षा एवं साहबद्ध विज्ञान संकाय बरेली ने अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए संविधान में अंकित अनुच्छेदों और उसके प्रावधानों पर चर्चा की । प्रोफेसर पी के ऑस्ट्रेलिया डायरेक्टर स्कूल आफ एजुकेशन राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय इलाहाबाद ने बताया यह बताने का प्रयास किया ।कि जब तक व्यक्ति या समाज का हर वह यूनिट या कहीं इकाई शिक्षित नहीं होगा तब तक वह देश में अपनी सहभागिता सुनिश्चित नहीं कर सकता । इस राष्ट्रीय सेमिनार मेंआर एम पी पीजी कॉलेज सीतापुर के प्राचार्य प्रोफेसर रजनीकांत श्रीवास्तव जी ने सहभागिता करी और रजनीकांत श्रीवास्तव ने बताया शिक्षा ही वह वह रूप है जिसके द्वारा व्यक्ति आगे बढ़ सकता है प्रोफेसर धर्मेंद्र सिंह जो कि प्राचार्य गांधी पीजी कॉलेज सिधौली भी उपस्थित रहे। प्रोफेसर हेमंत कुमार पाल प्राचार्य युवराज दत्त महाविद्यालय लखीमपुर ने उन अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के बालक बालिकाओं की समस्याओं को वास्तविक रूप से महसूस करते हैं जिस पर उन्होंने प्रकाश डाला और इस राष्ट्रीय सेमिनार की रिपोर्ट प्रस्तुतीकरण के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर दीपा स्वास्थ्य मैडम उपस्थित थी जिन्होंने दो दिवसी सेमिनार से संबंधित प्रमुख बातों को रखा और महाविद्यालय के प्रोफेसर सुनील कुमार रहे उन्होंने इस दो दिवसीय कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया और भारत के विभिन्न प्रदेशों से विद्युत जनों को इस संगोष्ठी में आने के लिए आमंत्रित किया और इस कार्यक्रम की फीडबैक या यह कहे की संपूर्ण प्रस्तुतीकरण आचार्य नरेंद्र देव पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर एसपी सिंह ने प्रस्तुत करी फैकल्टी की तरफ से फीडबैक प्रोफेसर अमित जायसवाल जीते जो कि उत्तराखंड से आए थे इन्होंने सभी विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया और प्रमुख बातों पर चर्चा की सो छात्र की तरफ से सोचा लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध छात्र विवेक डेट ने संपूर्ण राष्ट्रीय सेमिनार से संबंधित क्या सीखा उसे पर अपनी बातें रखें विवेक दत्त का मानना है कि जो बातें हम वास्तविक रूप से इस सेमिनार में रह कर सीख वह शायद किताबों से हमें नहीं मिल पाता कैसे किसी को आमंत्रित किया जाता है कैसे गेस्ट से इसमें शामिल करने के लिए आमंत्रित करते हैं या यूं कहें कि सफल आयोजन के लिए हम किन-किन समस्याओं का सामना करते हैं उन सब चीजों को भी सीख जो की एक शोध छात्र के लिए वह भविष्य का एक शिक्षक होगा प्रोफेसर होगा वह इन्हीं उसके लिए पहली सीढ़ी थी इस पहली सीढ़ी से बढ़कर ही वह आगे जाकर एक कुशल प्रशासक कुशल शिक्षक बन सकता है इस महाविद्यालय के छात्र मोदी त्रिपाठी का मानना है कि विद्यार्थी वह जीवन है जिसमें सीखने की सदैव सुधार की सदैव गुंजाइश रहती है इसलिए हम विद्यार्थी जीवन में सदैव सुधार की एक संभावना में बनाए रखनी चाहिए और जहां से भी हमें सुधार की संभावना हो वहां से खुले हाथों से सुधार के लिए सदैव अपने आप को आमंत्रित करना चाहिए इस राष्ट्रीय सेमिनार में सभी को प्रमाण पत्र हमारे चेयरपर्सन स्पेशल गेस्ट इन के द्वारा प्रदान किए गए और जो सिलेक्टिंग कमेटी बनाई गई थी उसमें तीन कैटेगरी के लिए एक फैकल्टी दूसरा शोध छात्र तीसरा विद्यार्थी के लिए जो उन्होंने रिसर्च पेपर पर यहां चर्चा पर चर्चा की उसका बेस्ट पेपर सेलेक्ट किए गए उसमें फैकल्टी की तरफ से सुधीर श्रीवास्तव जी चुने गए जो की राम जी पीजी कॉलेज देवरिया से आए हुए थे सो छात्र में से बेस्ट पेपर दीपावली गुप्ता का था जिनको बेस्ट पेपर का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया जैसा कि आप विधि तैयार उपरोक्त कार्यक्रम दो दिन चला इसमें बहुत सारे विद्वान गढ़ विद्यार्थी गणों ने अपने सहभागिता दी यह माना जाता है कि हमारे सीतापुर के आसपास 24 जिले हैं जैसे लखीमपुर हरदोई पीली भीत इन जगहों का अनुसूचित जनजाति पर शिक्षा विभाग का एक पहला कार्यक्रम है इसके सफल संयोजन या संचार प्रोफेसर सुनील कुमार रहे जिन्होंने जिनको उड़ता श्रेय जाता है प्रोफेसर सुनील कुमार सर और महाविद्यालय के प्राचार्य महाविद्यालय के प्रबंधक अवस्थी सर बधाई के पात्र हैं जिन्होंने बहुत सारे विद्वान जनों को बुलाया और इस सफल कार्यक्रम को एक नई प्रदान करेंआचार्य नरेंद्र देव टीचर्स ट्रेंनिंग कॉलेज सीतापुर में जो दो दिवसीय रास्ट्रीय सेमिनार स्पॉन्सर्ड आई.सी. एस. एस. आर . नई दिल्ली द्वारा आयोजित किया गया उसका 19 फरवरी को समापन दिवस था जिसमें पूरे भारत के बिभिन्न राज्यों के बहुत सारे विद्वानजनों ने सहभागिता की और इस सेमिनार से संबंधित बहुत सारी उपयोगी और सार्थक मुद्दों पर और उनकी चुनौतियों पर चर्चा और परिचरचा की जिसमे कई विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के शिक्षकों ,छात्र छात्राओं ने सहभागिता की इस पर चर्चा में चेयर परसन प्रोफेसर सुभाष चंद्र अग्रवाल अग्रवाल जी पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकाय अध्यक्ष शिक्षा विभाग छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर उपास्थित् रहे उन्होंने अनुसूचित जनजाति से संबंधित जो दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया जिसका थीम या टॉपिक था न्यू विजन फॉर ट्राईबल एंपावरमेंट स्ट्रैटेजिज ऑपच्यरुनिटी एंड चैलेंजिस विषय पर एक वृहद मुद्दोप पर अप्नी बात रखी जिसमें प्रोफेसर सुभाष चंद्र अग्रवाल साहब ने निष्कर्ष रूप में यह बताया कि जो अनुसूचित जनजातियों से संबंधित मुद्दे हैं जैसे की जल, जंगल,जमीन उन पर उनका अधिकार है और उनके अधिकार क्षेत्र को उन तक सीमित रखा जाए उसमें किसी बाहरी व्यक्ति की या किसी अन्य व्यक्ति की हस्तक्षेप कम से कम रखा जाए और उनकी संस्कृति उनकी परंपराओं उनकी चीजों को सुरक्षित रखा जाए जिसके आधार पर ही उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है और उसी के आधार पर ही उनको भारत की जो कल्पना है उनके बगैर नहीं की जा सकती जब तक सक्षम भारत सशक्त भारत की कल्पना नही सोची जा सकती है तो उसमें सभी की सहभागिता होनी चाहिए उसके आधार पर ही आपका मानना कि ” हर जन उपयोगी ” के नारे के साथ आगे बढ़ा जाए। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के समापन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर के.के. जी जो की शिक्षा एवं सह्बध्द विज्ञान संकाय विश्वविद्यालय बरेली के हैं उन्होंने भी इस विषय पर बृहद प्रकाश डाला और पूरे भारत की जो अनुसूचित जनजातियों हैं उनकी प्रमुख चुनौतियों पर बात की जैसे की उनका समुचित बिकास, समुचित बिजली समुचित शिक्षा समुचित संसाधनों का सार्थक उपयोग करने का अवसर मिले और उनकी अपनी संस्कृति है उसके संरक्षण करने की उनको पूर्णता छूट मिले जिसके आधार पर ही उनको इस अमृत कल के समय में उनके जन जीवन को भी अमृतमय और सरल बनाया जा प्रोफेसर यशपाल जी जो की शिक्षा एवं साहबद्ध विज्ञान संकाय बरेली में है वह भी विशिष्ट अतिथि के रूप में इस महाविद्यालय में पधारे और उन्होंने अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए संविधान में अंकित अनुच्छेदों और उसके प्रावधानों पर चर्चा की और यह भी बताने का प्रयास किया कि 1950 में भारत आजाद होने के बाद किस प्रकार से सरकार ने उनके उत्थान के लिए उनको मुख्य धारा में लाने के लिए क्या-क्या संवैधानिक प्रावधान है उनको किस तरह से कड़ाई से लागू कराया जाए और जिससे कि उनका शैक्षिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक जीवन बेहतर हो सके और आज 2023 तक किन-किन सरकारों ने उनके उत्थान के लिए क्या-क्या प्रावधान, योजनाएं, पॉलिसी बनाई गई और उनको कितने बेहतर ढंग से जमीनी स्तर पर लागू किया जा रहा है उसे पर भी विस्तृत रूप से चर्चा करें प्रोफेसर पीके ऑस्ट्रेलिया जो की डायरेक्टर स्कूल आफ एजुकेशन राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय इलाहाबाद से भी पधारे इन्होंने यह बताने का प्रयास किया कि जब तक व्यक्ति या समाज का हर वह यूनिट या कहीं इकाई शिक्षित नहीं होगा । इस राष्ट्रीय सेमिनार में हमारे सीतापुर जनपद के प्रमुख महाविद्यालय प्रमुख इसलिए क्योंकि यह महाविद्यालय काफी पुराने हैं जो शिक्षा की जो शिक्षा रूपी उजाले को पूरे समाज में फैला रहे हैं और यहां विद्युत विद्वान शिक्षक अपने ज्ञान रूपी कलम से सबको शिक्षित कर रहे हैं और जागरूक भी कर रहे हैं इसमें आरएमपी पीजी कॉलेज सीतापुर के प्राचार्य प्रोफेसर रजनीकांत श्रीवास्तव जी ने सहभागिता करी और रजनीकांत श्रीवास्तव जी का मानना है कि शिक्षा ही वह वह रूप है जिसके द्वारा व्यक्ति आगे बढ़ सकता है इनका मानना है कि जैसे कि अमेरिका मां जैसे कि अंबेडकर साहब ने कहा शिक्षा ही शिक्षा युवा दूध है जो पियेगा वह दहाड़ आएगा प्रोफेसर धर्मेंद्र सिंह जो कि गांधी पीजी कॉलेज सिधौली के प्राचार्य हैं वह भी उपस्थित रहे और उन्होंने भी छात्रों को विद्यार्थियों को ज्ञानवर्धक बातों से समापन दे जिससे की विभिन्न प्रदेशों से आए विद्यार्थियों ने उसका रसपान किया प्रोफेसर पंकज सिंह प्राचार्यगोला लखीमपुर खीरी पधारे प्राचार्य प्रोफेसर हेमंत कुमार पाल जो कि युवराज दत्त पीजी कॉलेज लखीमपुर खीरी से पधारे जो कि युवराज पीजी कॉलेज लखीमपुर खीरी का एकमात्र वह प्राचीन कॉलेज है जो वहां सबसे बड़ा कॉलेज है और वहां बहुत सारे अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थी अध्ययन करने आते हैं और यह माना जाता है कि प्रोफेसर हेमंत कुमार पाल ने उन अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के बालक बालिकाओं की समस्याओं को वास्तविक रूप से महसूस करते हैं जिस पर उन्होंने प्रकाश डाला और इस राष्ट्रीय सेमिनार की रिपोर्ट प्रस्तुतीकरण के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर दीपा स्वास्थ्य मैडम उपस्थित थी जिन्होंने दो दिवसी सेमिनार से संबंधित प्रमुख बातों को रखा और एक विस्तृत और बहुत ही शालीनता के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करें और जिसमें कई मुद्दों पर साथ-साथ उन्होंने चर्चा की कार्यक्रम संचालक उपरोक्त महाविद्यालय के प्रोफेसर सुनील कुमार रहे उन्होंने इस दो दिवसीय कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया और भारत के विभिन्न प्रदेशों से विद्युत जनों को इस संगोष्ठी में आने के लिए आमंत्रित किया और इस कार्यक्रम की फीडबैक या यह कहे की संपूर्ण प्रस्तुतीकरण आचार्य नरेंद्र देव पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर एसपी सिंह ने प्रस्तुत करी फैकल्टी की तरफ से फीडबैक प्रोफेसर अमित जायसवाल जीते जो कि उत्तराखंड से आए थे