- जिले मे आयी 1273 मशीने, ट्रेनिंग के बाद कोटेदारों को की गई वितरित
उन्नाव। सरकार के द्वारा वितरण किए जा रहे राशन चोरी को रोकने के लिए योगी सरकार अब नई व्यवस्था शुरू करने जा रही है। जिसकी तैयारियां पूरी हो गयी है। जल्द ही यह धरातल पर पहुंच जाएगी और पात्रों को इसका सीधा लाभ मिल सकेगा। लाभार्थियों के द्वारा आये दिन कोटे से राशन कम मिलने की शिकायते सरकार को मिल रही थी। जिसके चलते सरकार ने अब पीडीएस दुकानों में डिजिटल वेइंग मशीन लगाने का काम शुरू कर दिया है। जिससे ग्राहकों को सही वजन में अनाज मिलेगा। सभी डिजिटल वेइंग मशीन ई-पाश मशीन से जुड़ी होंगी।
पीडीएस में अनाज की चोरी रोकने के लिए अब डिजिटल वेइंग मशीन (माप-तौल मशीन) लगाई जाएगी। अब राशन दुकानों में तराजू या कांटा से अनाज वजन नहीं किया जाएगा। जिले की सभी पीडीएस दुकानों में इस मशीन को लगाया जाएगा। इसके लगने के बाद राशन कार्डधारियों को उनके अनाज का सही तौल मिल सकेगा और चोरी पर रोक लगेगी। खाद्य-आपूर्ति विभाग ने इस संबंध में काम करते हुए डिजिटल वेइंग मशीने लगाना शुरू कर दिया है।
विभाग के जिला पूर्ति अधिकारी राज बहादुर सिंह ने बताया कि जिले मे आयी करीब 1273 डिजिटल वेइंग मशीन,सभी कोटेदारों को ट्रेनिंग कराने के साथ ही वितरित कर दी गयी है। जल्द ही इन्ही मशीनो से राशन मिलना शुरू हो जाएगा।
ई-पाश मशीन से जुड़ा होगा डिजिटल वेईंग मशीन
यह मशीन ई-पाश सिस्टम से जुड़ी होगी, जिसका डाटा सीधे विभाग के डाटा सेंटर में दर्ज हो जाएगा। मशीन में जितना वजन लाभार्थियों को दिया जाएगा उतना ही डाटा पाश मशीन के द्वारा आनलाइन डाटा सेटर में दर्ज होगा। जो बाद में आहार पोर्टल में भी आनलाइन दिख सकेगा। इस व्यवस्था को लागू करने के पीछे लाभार्थियों को उनका पूरा हक दिलाने का प्रयास है ताकि लाभार्थियों को अनाज पूरे वजन के साथ मिल सके।
डिजिटल वेइंग मशीन में नहीं की जा सकेगी छेड़छाड़
वेईंग मशीन को डीलरों को देने से पहले इसे पूरी तरह से सील किया गया है। ताकि किसी भी रूप से मशीन के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जा सके। मालूम हो कि इन डिजिटल मशीन को मैन्युअल एडजस्ट किया जा सकता है जिससे मशीन में शून्य दिखने के बाद भी वजन कई ग्राम तक कम किया जा सकता है। लेकिन विभाग का दावा है कि इस मशीन को इस तरह से सील किया जाएगा ताकि इसमें कोई छेड़छाड़ न की जा सके। इसके बाद भी अगर कुछ मशीन के साथ किया जाता है तो पाश मशीन के द्वारा कम अनाज देने की जानकारी डाटा सेंटर को मिल जाएगी। जिसके बाद उक्त डीलर पर कार्रवाई की जा सकेगी।