नई दिल्ली। देश में गत दो फरवरी तक इलेक्टि्रक वाहन (ईवी) चार्जिंग स्टेशनों की संख्या 12146 हो चुकी है। देश में महाराष्ट्र 3079 के साथ पहले, दिल्ली 1886 के साथ दूसरे और 1041 ईवी चार्जिंग स्टेशनों के साथ तीसरे नंबर पर है। शीर्ष दस प्रदेशों की सूची में उत्तर प्रदेश (582) छठवें, राजस्थान (500) सातवें और मध्य प्रदेश (341) दसवें स्थान पर हैं।
भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने मंगलवार को लोकसभा में सवाल के जवाब में बताया कि भारी उद्योग मंत्रालय देश में ईवी को बढ़ावा देने के लिए सुविधाएं पर लगातार काम कर रहा है। ईवी उपयोगकर्ता में विश्वास पैदा करने के लिए सार्वजनिक चार्जिंग बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है।
इसके अलावा बिजली मंत्रालय ने भी देश में सार्वजनिक ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचा निर्माण को गति प्रदान करने के लिए कई पहल शुरू की हैं। 266 भारतीय मछुआरे विदेशी जेलों में बंदविदेशी जेलों में कम से कम 266 भारतीय मछुआरे बंद हैं। इनमें तमिलनाडु के 41 मछुआरे श्रीलंका, गुजरात के 184 मछुआरे पाकिस्तान, 10 मछुआरे बहरीन और 31 मछुआरे सऊदी अरब की जेलों में बंद हैं। आंकड़ों के अनुसार, गुजरात के मछुआरों की 1172 नावें पाकिस्तान और तमिलनाडु के मछुआरों की 87 नावें श्रीलंका के कब्जे में हैं। यह जानकारी केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने लोकसभा में सवाल के लिखित जवाब में दी।
मार्च 2026 तक 25 हजार जन औषधि केंद्र खोलने की योजना
सरकार ने 31 मार्च 2026 तक देशभर में 25 हजार जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है। गत 31 जनवरी तक देशभर में 10,624 प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं और अब सरकार इसका विस्तार करने की योजना बना रही है। भारतीय औषधि एवं चिकित्सा उपकरण ब्यूरो ने देशभर के सभी जिलों से आनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं। केंद्रीय रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि जनऔषधि दवाओं की कीमतें खुले बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड दवाओं की कीमतों से 50 से 90 प्रतिशत तक कम होती हैं।
प्लास्टिक के नोट शुरूकरने की योजना नहीं
सरकार की प्लास्टिक के नोट शुरू करने की कोई योजना नहीं है। भारतीय बैंक नोटों की स्थायित्व और नकली प्रतिरोध को बढ़ाने का प्रयास एक सतत प्रक्रिया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि 2022-23 की आरबीआइ की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 के लिए सुरक्षा मुद्रण पर कुल 4682.80 करोड़ रुपये का खर्च आया और प्लास्टिक नोटों छपाई पर कोई खर्चा नहीं हुआ।