गंगटोक। ऐतिहासिक घटनाओं और पारिवारिक मूल्यों की कहानियों को दर्शाती बांस की टोपियां बनाने वाले सिक्किम के शिल्पकार जॉर्डन लेपचा को साल 2024 के पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया।
‘लेपचा जनजाति की पहचान हैं टोपियां’
मांगन जिले के लोअर लिंगदोंग निवासी 50 वर्षीय शिल्पकार पिछले 25 वर्षों से लेपचा जनजाति की सांस्कृतिक विरासत को संजो रहे हैं। टोपियों को लेपचा जनजाति की पहचान बताते हुए उन्होंने कहा,
महत्वपूर्ण समारोहों और औपचारिक कार्यक्रमों में टोपियां पहनी जाती हैं।
जॉर्डन लेपचा ने पारंपरिक लेपचा टोपी बुनाई की प्राचीन कला और बांस शिल्प को संरक्षित किया है। वह बांस के मुट्ठीभर कुशल शिल्पकारों में से एक हैं। लेपचा ने कहा कि टोपियां बनाने में स्थानीय स्तर पर मौजूद प्राकृतिक सामग्रियों का ही इस्तेमाल किया जाता है। टोपियों में ऐतिहासिक घटनाओं को अंकित किया गया है, जैसे- राजाओं की शादी, लोकप्रिय लेपचा लोककथाएं इत्यादि।
कितने समय में तैयार होती हैं बांस की टोपियां?
बांस की टोपियां को तैयार करने में तकरीबन डेढ़ माह का समय लगता है और इसकी कीमत 15 हजार से लेकर 25 हजार के बीच होती है। जॉर्डन लेपचा ने कहा,
एक साल में छह या सात टोपियां तैयार की जा सकती हैं। इस काम में समय, कौशल और एकाग्रता की जरूरत होती है, क्योंकि यह श्रम-केंद्रित काम है।
जॉर्डन लेपचा ने 2003 में समुदाय की पहचान को संरक्षित करने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की। उन्होंने सिक्किम के विभिन्न हिस्सों के 150 से अधिक युवाओं को इसके बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इन टोपियों ने मुझे समाज में अपनी एक पहचान दी।