भुवनेश्वर। ओडिशा कैबिनेट की आज हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में अगले 10 वर्षों में राज्य में एक लाख एकड़ भूमि पर कॉफी की खेती करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए राज्य के छह आदिवासी बहुल जिलों कोरापुट, रायगढ़ा, गजपति, कालाहांडी, कंधमाल और केंदुझर जिलों में ”टिकाऊ आजीविका के लिए कॉफी की खेती” योजना लागू की जाएगी। इस योजना के तहत, महिला स्वयं सहायता समूहों को कॉफी के पौधे (नर्सरी) तैयार करने में शामिल किया जाएगा और इससे 50,000 से अधिक किसान परिवारों को फायदा होगा।
सरकार ने मामले की जानकारी दी
कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णय के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जेना ने कहा कि महिला एसएचजी समूहों को अब कॉफी नर्सरी प्रणाली में शामिल किया जाएगा। कॉफी की खेती ने आदिवासी क्षेत्रों में पारंपरिक फसल प्रणाली के उपयुक्त विकल्प के रूप में अधिक अवसर पैदा किए हैं। यह सबसे अधिक नकदी फसल के रूप में उभरा है।
इस योजना के माध्यम से वर्ष 2022-23 से 2026-27 के लिए कुल 1,144 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है। इसमें से 567 करोड़ रुपये राज्य की योजनाओं के समन्वय से और 577 करोड़ रुपये अन्य योजनाओं के समन्वय से लागू किए जाएंगे।
आने वाले वर्षों में, यह योजना उत्पादों के मूल्यवर्धन और खरीद को भी कवर करेगी। यह योजना मृदा संरक्षण और वाटरशेड विकास निदेशालय के माध्यम से लागू की जाएगी। काफी के उत्पादन को बढ़ाने, इसकी गुणवत्ता बढ़ाने, बुनियादी ढांचे का निर्माण करने और उत्पादक ब्रांड के विकास के लिए काफी बोर्ड एवं अन्य प्रतिष्ठित संगठन की सहभागिता से काम किया जाएगा।