नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा अवमानना के एक मामले में वकील को छह महीने की सजा सुनाए जाने को उचित करार दिया। वकील ने राष्ट्रीय राजधानी के हाई कोर्ट और जिला अदालतों के कई न्यायाधीशों के खिलाफ निंदनीय, अनुचित और आधारहीन आरोप लगाए थे।
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह देखते हुए कि वकील ने माफी मांग ली है, सजा को घटाकर पहले ही काट ली गई अवधि तक कर दिया। वकील की ओर से पेश अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा ने पीठ को बताया कि अवमाननाकर्ता ने सभी संबंधित न्यायाधीशों के समक्ष लिखित रूप में माफी मांगी है और न्यायाधीशों और न्यायपालिका के खिलाफ अपनी आपत्तिजनक टिप्पणियां भी वापस ले ली हैं।
शीर्ष कोर्ट ने वकील को बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया
इस पर पीठ ने कहा- ‘हमारा मानना है कि दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश उचित है। हालांकि, बाद के घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए हम सजा को पहले ही पूरी की जा चुकी अवधि तक कम कर देते हैं।’ 16 जनवरी को शीर्ष अदालत ने वकील को उन न्यायाधीशों से बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया था, जिन पर उसने आरोप लगाए थे।
अधिवक्ता ने बिना शर्त माफी मांग ली
इसके बाद अधिवक्ता ने बिना शर्त माफी मांग ली थी। हाई कोर्ट के जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस शलिंदर कौर की पीठ के समक्ष दाखिल हलफनामे में अधिवक्ता ने कहा था कि उसकी मंशा किसी न्यायाधीश को अपमानित करने की नहीं थी। साथ ही कहा था कि वह भविष्य में अधिक सतर्क रहेगा।
अधिवक्ता को हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल भेजा गया था
हाई कोर्ट ने नौ जनवरी को वकील को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था और छह महीने की कैद की सजा सुनाई थी। साथ ही उस पर 2,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अधिवक्ता को वहां से तत्काल हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल भेजा गया था।
वकील ने जुलाई 2022 में हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की थी जिसमें कई न्यायाधीशों पर मनमाने ढंग से और पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्य करने का आरोप लगाया था। इसमें वकील ने कई न्यायाधीशों का नाम लिया था।