प्रशासनिक दावे खोखले, अलाव व्यवस्था नदारद, ढंड से ठिथुर रहे मुसाफिर
जौनपुर नवंबर दिसंबर यूँ ही गुज़र गया ठंड कभी सर्द कभी मंद लेकिन जनवरी आते ही ठंड ने अपने रुख मे सख्ती दिखानी शुरू की तो लोगों के शरीर मे ठंड से कम्पन्न शुरू होगया स्कूलों मे बच्चों की छुट्टिया घोषित जिला प्रशासन द्वारा की गईं!लेकिन ठण्ड,गलन के साथ सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवसाय प्रशासनिक स्तर पर ज़ीरो बटा सन्नाटा ही देखने को मिल रही शहर से लेकर गांव की चौपालो आदि तक अलाव व्यवस्था कागज़ी घोड़ो की मानिंद धमा चौकड़ी करती देखी जासकती है!
वैसे ढंड से बचाव के सुझाव जिला प्रशासन द्वारा जनता को तीब्र गति से सुझाये जा रहे है!लेकिन जिला प्रशासन की ढंड से आमजन मानस एवं मुसाफिरो को कैसे बचाया जाये की समस्त व्यवस्थाये कोरी साबित हो रही है!भीषण ठंड से लोगों मे कम्पन्न उतपन्न होगया लेकिन प्रशासनिक अलाव व्यवस्था बुझी की बुझी ही दिखी हाँ कुछ सामाजिक संस्थाओ एवं सामाजिक व्यक्तियों द्वारा लोगों के आवा गमन के आम सी ठिकानो पर अलाव जलाने की व्यवसाय की गईं है!
गांव स्तर पर तो प्रशासनिक अलाव व्यवस्था पूरी तरह शून्य है!जबकि पूरा जनपद कोहरे की चादर से ढाका हुआ है!