नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में जिला अदालतों और दिल्ली हाई कोर्ट के कई वर्तमान जजों के विरुद्ध निंदनीय, अनुचित और निराधार आरोप लगाने के लिए आपराधिक अवमानना के दोषी और छह माह की सजा पाए एक वकील से सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह उन जजों से बिना शर्त माफी मांगें जिनको उन्होंने निशाना बनाया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने नौ जनवरी को उक्त वकील को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था और छह माह जेल व दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। साथ ही यह निर्देश भी दिया था कि वकील को हिरासत में ले लिया जाए और तिहाड़ जेल के अधीक्षक के हवाले कर दिया जाए। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील की याचिका पर संज्ञान लिया और कहा कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि वकील को अपनी याचिका में लगाए अवमानना वाले आरोपों के लिए माफी मांगने का अवसर दिया गया था, लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया और कहा कि वह आरोपों पर कायम हैं।
वकील की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता बिना शर्त माफी मांगने को तैयार है। इस पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता के अनुरोध पर विचार करने से पहले हम निर्देश देते हैं कि अगर वह इच्छुक हैं तो वह हाई कोर्ट और जिला न्यायपालिका के उन जजों के समक्ष हलफनामे में बिना शर्त माफी प्रस्तुत करें जिनके विरुद्ध उन्होंने आरोप लगाए हैं। पुलिस अधिकारी उन्हें हर उस जज के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रबंध करेंगे जिनके समक्ष माफीनामा दायर किया जाना है।’ इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 16 जनवरी को दोपहर तीन बजे के लिए स्थगित कर दी।
बता दें कि उक्त वकील ने जुलाई, 2022 में हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष एक याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने कई जजों पर मनमाने और पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया था। याचिका में उन्होंने जजों के नाम का भी उल्लेख किया था।