नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगों की साजिश में संलिप्तता के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत दर्ज मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई बुधवार को 24 जनवरी तक स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने खालिद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के स्थगन के अनुरोध के बाद मामले को स्थगित कर दिया। सिब्बल ने यह कहकर कोर्ट से स्थगन का अनुरोध किया था कि वह संविधान पीठ के मामले में व्यस्त हैं।
पीठ ने जताई नाराजगी
सिब्बल ने कहा कि अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू भी उपलब्ध नहीं हैं। पीठ ने इस पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि वह इस मामले को टालने की इच्छुक नहीं है। सिब्बल ने इस पर कहा कि खालिद जेल में है। इससे क्या फर्क पड़ता है। हमने कभी समय नहीं मांगा। राजू ने कहा कि वह भी उपलब्ध नहीं है। मैं संविधान पीठ में व्यस्त हूं। कृपया एक सप्ताह का समय दें। आपसे यही अनुरोध है। पीठ ने तब कहा,
आपने पहले कहा था कि मामले में सुनवाई नहीं हो रही है। यह अनावश्यक है, हम आपको छूट नहीं दे सकते। सिब्बल के लगातार अनुरोध करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को स्थगित कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने नौ अगस्त को खालिद की याचिका पर सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया था। खालिद की याचिका उसकी जमानत याचिका खारिज करने वाले दिल्ली हाई हाई कोर्ट के 18 अक्टूबर, 2022 के आदेश को चुनौती देती है।