नई दिल्ली: चीन के मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स में लिखे गए एक हालिया आर्टिकल में भारत की बढ़ती ताकत को लेकर बात की गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस आर्टिकल का हवाला देते हुए कहा कि चीन भी अब मानने लगा है कि भारत एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक खिलाड़ी और रणनीतिक शक्ति के तौर पर उभर रहा है. उन्होंने कहा कि चीन भी मानता है कि भारत अपनी मजबूत आर्थिक और विदेशी नीतियों के बूते इतनी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है.
दरअसल, ब्रिटेन की राजधानी लंदन में एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ ग्लोबल टाइम्स के उस आर्टिकल का जिक्र कर रहे थे, जिसे ग्लोबल टाइम्स में ‘What I see about Bharat narrative in India’ यानी ‘मैं भारत में भारत कथा के बारे में क्या देखता हूं’ शीर्षक के साथ लिखा गया था. राजनाथ सिंह ने बताया कि ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया ये आर्टिकल इस बात की तस्दीक करता है कि भारत को लेकर चीन का नजरिया बदलता जा रहा है.
राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘ये आर्टिकल भारत के प्रति चीन के बदलते नजरिए को साबित करता है. ऐसा मालूम पड़ता है कि चीनी सरकार ये मानने लगी है कि हमारी आर्थिक और विदेशी नीतियों के साथ-साथ हमारे बदलते रणनीतिक हितों ने भारत को एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक खिलाड़ी और रणनीतिक शक्ति के रूप में उभरने में मदद की है.’ भारत संग चल रहे तनाव के बीच लिखे गए इस आर्टिकल के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन के नजरिए में हो रहे बदलाव की वजह कहीं न कहीं भारतीय सैनिकों के जरिए गलवान घाटी में चीनी सैनिकों को दिया गया मुंहतोड़ जवाब भी है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को अब एक कमजोर मुल्क के तौर पर नहीं देखा जाता है, बल्कि इसने खुद को एक बढ़ती ग्लोबल पावर के तौर पर स्थापित किया है. रक्षा मंत्री ने कहा, ‘अब ऐसा नहीं है कि भारत को आंख दिखाकर, जो चाहे वो निकल जाए.’
आर्टिकल में क्या लिखा गया है?
ग्लोबल टाइम्स में आर्टिकल लिखने वाले लेखक का नाम झांग जियाडोंग है, जो फुडान यूनिवर्सिटी में ‘सेंटर फॉर साउथ एशियन स्टडीज’ के डायरेक्टर हैं. झांग ने इस आर्टिकल को भारत में अपने दो दौरे के आधार पर लिखा है. उन्होंने लिखा कि पिछले चार साल में भारत की घरेलू और विदेशी स्थिति में जबरदस्त बदलाव हुए हैं. उन्होंने पाया है कि एक दशक से भी कम समय में भारत मल्टी-बैलेंसिंग से मल्टी-अलाइनमेंट वाला देश बन गया है.
झांग ने लिखा है कि भारत ने हमेशा से ही खुद को एक वैश्विक शक्ति के तौर पर देखा है. वह धीरे-धीरे इस मल्टीपोलर वर्ल्ड में एक पोल बन रहा है. उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास में ऐसे बदलावों की गति कम ही देखने को मिलती है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि आमतौर पर चीनी स्कोलर्स भारत के साथ चल रही तनातनी को देखते हुए आलोचना भले आर्टिकल ही लिखते हैं. मगर पहली बार इस तरह सराहना वाला आर्टिकल लिखा गया है.