मुंबई। विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर शिवसेना विधायकों की अयोग्यता से जुड़े मामले में अपना फैसला सुनाएंगे। स्पीकर का ये फैसला आज शाम चार बजे आ सकता है। इससे पहले महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भरोसा जताया है कि राज्य में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चल रही सरकार स्थिर रहेगी।
अयोग्यता संबंधी मामले में ठाकरे और नार्वेकर भिड़े
शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर शिवसेना विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर फैसले से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर के बीच हुई बैठक पर आपत्ति जताई है। इसके बाद ठाकरे और नार्वेकर के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए।
ठाकरे ने बांद्रा स्थित अपने आवास ‘मातोश्री’ में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘अगर न्यायाधीश आरोपी से मिलने जाते हैं, तो हमें न्यायाधीश से क्या उम्मीद करनी चाहिये।’’ पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह हलफनामा सोमवार को दायर किया गया।
ठाकरे के सहयोगी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक शरद पवार ने भी कहा कि जब किसी मामले की सुनवाई कर रहा कोई व्यक्ति उस व्यक्ति से मिलता है, जिसके खिलाफ मामले की सुनवाई हो रही है, तो इससे संदेह पैदा होता है।
पलटवार करते हुए स्पीकर नार्वेकर ने कहा कि ठाकरे को पता होना चाहिए कि विधानसभा स्पीकर किस उद्देश्य से मुख्यमंत्री से मिल सकता है। नार्वेकर ने तर्क दिया, ‘‘अगर वह अब भी ऐसे आरोप लगाते हैं, तो उनका मकसद बहुत स्पष्ट है। ऐसा कोई नियम नहीं है कि अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई करते समय विधानसभा स्पीकर कोई अन्य काम नहीं कर सकता है।’’
विधानसभा स्पीकर ने रविवार को दक्षिण मुंबई में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ में एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी। ठाकरे ने कहा कि दोनों की मुलाकात पिछले साल अक्टूबर में भी हुई थी।
शिवसेना नेता ने कहा, नार्वेकर का फैसला यह तय करेगा कि ‘देश में लोकतंत्र मौजूद है या नहीं’ या क्या दोनों (विधानसभा स्पीकर एवं मुख्यमंत्री) लोकतंत्र की ‘हत्या’ करेंगे। ठाकरे ने कहा, ‘‘हमने एक हलफनामा दाखिल कर पूछा है कि क्या न्यायाधीश और आरोपियों के बीच मिलीभगत है।’’ उन्होंने पूछा कि क्या विधानसभा स्पीकर फैसला करने में और देरी करेंगे।
ठाकरे ने कहा कि विधानसभा स्पीकर कभी मुख्यमंत्री से मिलने नहीं जाते हैं। शिवसेना में विभाजन के बाद ठाकरे को जून 2022 में मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था। शिवसेना की स्थापना ठाकरे के पिता दिवंगत बाला साहेब ठाकरे ने 1966 में की थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा स्पीकर मुख्यमंत्री को मिलने के लिये बुलाते हैं।ठाकरे ने कहा कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मई में नार्वेकर को अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय करने का निर्देश दिया था, इसलिए विधानसभा स्पीकर ने मुख्यमंत्री से दो बार मुलाकात की।
डेढ़ साल पहले एकनाथ शिंदे ने की थी बगावत
करीब डेढ़ साल पहले शिवसेना में हुई बड़ी बगावत के बाद ही शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित उनके साथ गए 39 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट चला गया था। शिंदे गुट ने भी उद्धव ठाकरे के साथ बचे रहे 14 विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। कुछ माह बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सौंप दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी तक समय दिया था
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल को एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा दायर क्रॉस-याचिकाओं पर फैसला करने के लिए 10 दिन का समय दिया था।
शीर्ष अदालत ने पहले स्पीकर से अयोग्यता याचिकाओं पर 31 दिसंबर तक फैसला करने को कहा था, लेकिन बाद में 10 जनवरी 2024 तक समय को बढ़ा दिया था। शीर्ष अदालत शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और राकांपा के शरद पवार गुट द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कुछ विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही पर शीघ्र निर्णय लेने के लिए स्पीकर को निर्देश देने की मांग की गई थी।
उद्धव गुट ने किया बड़ा दावा
शिवसेना शुरू से ही दावा करता आ रहा है कि यह फैसला आते ही राज्य में शिंदे सरकार गिर जाएगी, जबकि राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने सरकार स्थिर रहने का भरोसा जताते हुए कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष उचित एवं कानून सम्मत निर्णय करेंगे। भाजपा एवं शिवसेना के शिंदे गुट द्वारा बनाई गई सरकार कानूनी रूप से मजबूत है। हमारा पक्ष मजबूत है। हमें विधानसभा अध्यक्ष से न्याय मिलने का भरोसा है। इसलिए, हमारी सरकार कल भी स्थिर थी और आगे भी स्थिर रहेगी, लेकिन शिवसेना अभी से विधानसभा अध्यक्ष पर अविश्वास जताने लगा है।
दोनों गुटों के इन विधायकों पर मंडरा रहा अयोग्यता का खतरा
शिंदे गुट- एकनाथ शिंदे, संजय शिरसत, भरत गोगावले, संदीपन भुमरे, तानाजी सावंत, अब्दुल सत्तार, लता सोनावाने,यामिनी जाधव, प्रकाश सूर्वे, अनिल बाबर, बालाजी किन्नीकर, महेश शिंदे, चिमनराव पाटिल, रमेश बोरनारे, संजय रायमुल्कर और बालाजी कल्याणकर। इनके अलावा और भी कई विधायकों के खिलाफ ठाकरे गुट ने अयोग्यता की मांग की है।
ठाकरे गुट- सुनील प्रभु, रविंद्र वाईकर, सुनील राउत, वैभव नाइक, अजय चौधरी, संजय पटनीस, प्रकाश फाटेरपेकर, रमेश कोरगांवकर, राजन विचारे, नितिन देशमुख,कैलाश पाटिल और राहुल पाटिल हैं। सिर्फ दो विधायकों – आदित्य ठाकरे और रुतुजा लाटके के खिलाफ ही अयोग्यता का प्रस्ताव नहीं आया है।