नई दिल्ली। खिलौना उद्योग अन्य उद्योगों के लिए उदाहरण बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन साल पहले मन की बात में खिलौना निर्माण के प्रोत्साहन का जिक्र किया गया और उसके बाद से खिलौने के निर्माण से लेकर इसके निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2022-28 के दौरान खिलौने के कारोबार में सालाना 12 प्रतिशत से बढ़ोतरी का अनुमान है और यह उद्योग तीन अरब डॉलर के स्तर को छू सकता है।
32.6 करोड़ डॉलर का निर्यात
वित्त वर्ष 2014-15 की तुलना में खिलौने के निर्यात में 239 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई और इसके आयात में इस दौरान 52 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की त रफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 में खिलौना निर्यात सिर्फ 9.6 करोड़ डॉलर का था जो वित्त वर्ष 22-23 में बढ़कर 32.6 करोड़ डॉलर का हो गया। वैसे ही, वित्त वर्ष 2014-15 में खिलौने का आयात 33 करोड़ डालर का था जो वित्त वर्ष 22-23 में घटकर 15.9 करोड़ डॉलर का हो गया।
खिलौने के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 94 प्रतिशत
डीपीआईआईटी के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2013-14 में खिलौने के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 94 प्रतिशत थी जो गत वित्त वर्ष 22-23 में घटकर 62 प्रतिशत रह गई।
खिलौने के आयात शुल्क में बढ़ोतरी
डीपीआइआइटी के मुताबिक खिलौने के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए क्वालिटी कंट्रोल नियम लागू करने के साथ खिलौने के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की गई। इसके अलावा क्लस्टर आधार पर खिलौने का निर्माण शुरू किया गया।
क्वालिटी कंट्रोल नियम लागू
क्वालिटी कंट्रोल नियम लागू होने से घटिया किस्म के खिलौनों का आयात थम गया और इससे घरेलू स्तर पर निर्माण को प्रोत्साहन मिला। क्वालिटी कंट्रोल नियम के लागू होने से प्लास्टिक के घटिया खिलौने घरेलू बाजार से बाहर होते गए।