BHU Case: तथ्यों के सहारे आगे बढ़ी जांच तो आईने की तरह साफ होती गई तस्वीर

वाराणसी। आइआइटी बीएचयू में छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी। रात का अंधेरा, आस-पड़ोस में कोई कमैरा नहीं। पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया यह मामला बीएचयू के छात्रों के जबरदस्त विरोध प्रदर्शन के बीच राजनीति के केंद्र में आ गया था।

आरोपितों की जल्द गिरफ्तारी का पुलिस पर काफी दबाव था। ऐसे में पुलिस ने कदम दर कदम जांच को आगे बढ़ाना शुरू किया। सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाले गए, सर्विलांस की मदद लेने के साथ पुलिस आम लोगों के बीच गई।

एक नवंबर की रात हुई घटना को लेकर अगले दिन दो नवंबर को बीएचयू में छात्रों का जबरर्दस्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। पुलिस ने एक नंवबर की रात 12 बजे से तड़के चार बजे तक के सीसीटीवी फुटेज और उस दौरान परिसर में सक्रिय मोबाइल नंबरों को निकाला।

100 से ज्यादा उन लोगों के तस्वीर निकाली गई जो क्षेत्र में बुलेट पर घूम रहे थे। उस दौरान करीब 100 मोबाइल नंबर भी सक्रिय मिले। मोबाइल नंबरों और तस्वीरों की पड़ताल के बाद पता चला कि तीन मोबाइल नंबर ऐसे थे, जिनका घटना के बाद लोकेशन मध्य प्रदेश और फिर लखनऊ में मिला।

ऐसे में तीनों आरोपितों कुणाल पांडेय, सक्षम सिंह पटेल और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान की तस्वीर बीट के सिपाहियों के जरिए उनके मोहल्ले वालों तक ले जाकर जानकारी जुटाई तो इनके मनबढ़ होने का पता चला। आशंका गहराने की वजह यह भी थी कि तीनों एक बुलेट पर घटनास्थल से गुजरे थे।

छानबीन के क्रम में आरोपितों की स्पष्ट तस्वीर चेतगंज के पास मिली थी। उधर पुलिस की गतिविधियों से वाकिफ आरोपित अपनी गिरफ्तारी सुनिश्चित मान लगातार ठिकाना बदल रहे थे। वहीं, पुलिस उन्हें एक साथ गिरफ्तार करने की फिराक में थी।

ऐसे में रणनीति के मुताबिक चुप्पी साध ली गई और आरोपित इस चाल को समझ नहीं सके। वे अपने घर लौट आए। इस दौरान सर्विलांस के सहारे आरोपितों का घरों पर लोकेशन मिली तो लंका पुलिस की दो टीमें और क्राइम ब्रांच ने एक साथ दबिश देकर तीनों को गिरफ्तार कर लिया।

डीसीपी आरएस गौतम ने बताया कि लंका थाने के प्रभारी शिवकांत मिश्रा और इंस्पेक्टर क्राइम ने तथ्यों के सहारे तफ्तीश की तो एसपीपी डा. अतुल अंजान त्रिपाठी ने मजबूत निगरानी की और आखिर में आरोपितों को पकड़ने में सफलता मिली।

बुलेट पर नंबर प्लेट लगाने की रणनीति काम न आई
वारदात के पहले कुणाल पांडेय बगैर नंबर प्लेट वाली बुलेट से घूमता था। घटना वाली रात भी उसकी बुलेट पर नंबर प्लेट नहीं थी। बाद में उसने पुलिस की जांच को भ्रमित करने के लिए नंबर प्लेट लगा ली। हालांकि इसका कोई फायदा नहीं हुआ। उसने एक साल पूर्व बुलेट खरीदी थी।

पीएमओ ने मांगी थी मामले की रिपोर्ट
पुलिस घटना के बाद शुरुआत में बहुत गंभीर नहीं थी। प्रधानमंत्री कार्यालय से (पीएमओ) पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन से रिपोर्ट मांगी तो उच्चाधिकारियों की तंद्रा टूटी। डीआइजी चिनप्पा शिवसिंपि, एडीसीपी चंद्रकात मीणा आदि अधिकारी बच्चों के बीच जाकर पुलिस कार्रवाई पर चर्चा करते उन्हें भरोसे में लेना शुरू किए। उसी दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सुरक्षा को लेकर निर्देश दिए थे।

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