नई दिल्ली: 21 दिसंबर 2023 की दोपहर राजौरी-पुंछ इलाके में सर्च ऑपरेशन पर निकले सुरक्षाबलों के काफिले पर आतंकियों ने हमला कर दिया. इस हमले में चार जवानों के शहीद होने और 3 जवानों के गंभीर रूप से घायल होने की खबर सामने आई.
पुंछ में हुए हमले से ठीक 1 महीने पहले यानी 22 नवंबर को इसी इलाके के बाजीमाल क्षेत्र में भी ऐसा ही हमला किया गया था, उस वक्त भी सेना के पांच जवान और दो कैप्टन को अपनी जान गवानी पड़ी थे. पिछले एक साल का रिकॉर्ड देखें तो जम्मू कश्मीर के राजौरी-पुंछ सेक्टर में 6 आतंकी हमले और 19 जवान शहीद हो चुके हैं.
कश्मीर में आतंकी हमले होना कोई नई बात नहीं है. सालों से हम अखबार या टीवी में सुरक्षाबलों पर आतंकियों के हमले की खबरें सुनते आए है, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि पहले इस तरह के हमले ज्यादातर दक्षिण कश्मीर यानी घाटी क्षेत्र में होते थे. हालांकि पिछले कुछ सालों से घाटी का इलाका शांत है जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं ज्यादा होने लगी है.
ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि राजौरी और पुंछ जिले में ऐसा क्या है कि ये क्षेत्र आतंकियों का पनाहगार बनाता जा रहा है. इस पूरे मामले में पीर पंजाल क्षेत्र कैसे केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
पहले समझते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आखिर पीर पंजाल है कहा
पीर पंजाल हिमालय की एक रेंज है, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश के राज्य तक फैली हुई है. इस रेंज को लघु हिमालय भी कहा जाता है. यहां के पहाड़ 13,000 फीट ऊंचे हैं. इसी इलाके में रावी, चेनाब और झेलम जैसी नदियां भी बहती हैं. माना जाता है कि पीर पंजाल इलाका इन पहाड़ियों को कंट्रोल करता है और इस इलाके पर कंट्रोल कर लेने का मतलब है कि उसके पास पूरी कश्मीर घाटी का एक्सेस हो जाता है. पीर पंजाल में काफी घने जंगल हैं. इसके अलावा यहां खूब बरसात होती है.
अब समझिए की पीर पंजाल कैसे बन रहा सरकार की चुनौती
इस बात से तो हम सभी वाकिफ ही हैं कि कश्मीर के जरिये पाकिस्तान भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर चलाता आया है. जिसमें कश्मीर हमेशा सुलगता रहा है. अब साल 2019 से पहले तक आतंकी समूह एलओसी से सटे राजौरी और पुंछ में पहुंचते थे और पीर पंजाल क्षेत्र को पार करते हुए घाटी में हमला या आतंकी गतिविधि करते थे. आसान भाषा में कहें तो ये कुछ साल पहले तक ये जिले आतंकियों के लिए सिर्फ कश्मीर तक पहुंचने का ट्रांजिट रूट हुआ करता था.
साल 2003-04 के आसपास राजौरी और पुंछ इलाकों में मिलिट्री ने काफी ऑपरेशन किए. सेना के आक्रमक सर्च ऑपरेशन्स ने इन आतंकियों को बैकफुट पर ला दिया. साल 2019 से लेकर अब तक इस सर्च ऑपरेशन में 47 आतंकियों को मार गिराया जा चुका है.
इन ऑपरेशन्स के दौरान ही सेना ने पीर पंजाल से पहले पुंछ के सुरनकोट में आतंकियों के जो बेस थे उसे तबाह कर दिया. अब कोई बेस नहीं होने के कारण इन आतंकियों को घाटी पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ रहा है.
इस बीच अगर वह सेना के जवानों के नजर में आ जाते हैं तो शायद ही वापस लौटकर जा पाए. यही कारण है कि ज्यादातर आतंकी अब पीर पंजाल वाले उस क्षेत्र का सहारा ले रहे हैं, जहां घने घने जंगल और पहाड़िया हैं.
वहीं दूसरी तरफ अनुच्छेद 370 के रद्द होने के कारण भी घाटी के भीतर की स्थिति बदली है. इसने कश्मीर को अलगाववादी नजरिया रखने वालों के लिए कम अनुकूल बना दिया है.