- कठवारा की गौशाला के निर्माण कार्य में कार्यदाई संस्था ने जमकर किया सरकारी धन का दुरपयोग
निष्पक्ष प्रतिदिन,लखनऊ। राजधानी के बीकेटी विकास खंड की ग्राम पंचायत कठवारा में एक करोड़ 20 लाख रुपये की लागत से पैक्सपेड संस्था द्वारा गौशाला केंद्र का निर्माण कराया गया है। गौशाला के निर्माण में कार्यदाई संस्था द्वारा निर्माण की गुणवत्ता में घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग करते हुए जमकर भ्रष्टाचार किया गया है।गोवंशों को चारा खाने के लिए बनाई गई चरही की ऊंचाई बहुत कम रखी गई है , वहीं भूसा रखने के लिए बनाए गए कमरों की रैम्प भी गलत बनाएं गये है , जिससे किसी वाहन से लाकर भूसा उसमें नहीं रखा जा सकता है।ग्रामीणों की शिकायत पर गौशाला के निर्माण कार्य का निवर्तमान बीडीओ पूजा सिंह ने 30 सितंबर को निरीक्षण किया था।बीडीओ की जांच में यूरिन नाली,चरही,भूसा रखने वाले कमरे का रैम्प व निर्माण में गड़बड़ी मिली थी।जिसकी रिपोर्ट पशुपालन विभाग और जिलाधिकारी को भेजी जा चुकी है। इसके बावजूद खामियों को अभी तक दुरुस्त नहीं कराया जा सका है।कठवारा के गौशाला में जो भी खामियां हैं , उन्हें दुरुस्त न कराकर गौशाला की रंगाई पुताई करवाकर उद्घाटन की तैयारी की जा रही है।ग्रामीणों ने गौशाला निर्माण में की गई धांधली की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग मुख्यमंत्री से की है।
बता दें कि ग्राम पंचायत कठवारा की गौशाला के निर्माण कार्य में मनमानी थम नहीं रही है। अफसर केवल चेतावनी और नोटिस देते हैं। वे कार्रवाई करना भूल जाते हैं। गौशाला निर्माण में की गयी मनमानी निवर्तमान बीडीओ पूजा सिंह की जांच में उजागर हुई थी। सरिया और ईंट की भी गुणवत्ता खराब मिली थी।
एक्ससीएन ने सुधार करने की चेतावनी देकर चले गये, लेकिन निर्माण कार्य वैसे का वैसे ही रहा। काम बंद तक नहीं किया गया। ग्राम पंचायत कठवारा व आसपास के गांवों में छुट्टा मवेशियों को रखने के लिए गौशाला का निर्माण कराया जा रहा है। इसके निर्माण में जो ईंट लगाई गई है, वह बेहद खराब है।सरिया की मोटाई मानक से कम है।एक करोड़ 20 लाख रुपये की लागत से यह सब निर्माण हो रहा है, लेकिन गुणवत्ता देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि धन का किस तरह बंदरबांट किया गया है। उक्त गौशाला के निर्माण कार्य में एक करोड़ 20 लाख रुपये खर्च हुए हैं। इतना अधिक सरकारी धन खर्च होने के बावजूद भी गौशाला बदहाल दिखाई दे रही है।मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्टो में शामिल गौशाला योजना को जिम्मेदारों ने पतीला लगा दिया और सरकारी धन का बंदरबांट कर जिम्मेदारों ने इसकी आड़ में खूब मलाई काटी है।