नई दिल्ली। इस साल कुछ कंपनियों के स्टॉक रिटर्न ने निवेशकों की झोली में खुशियां भर दी तो वहीं कुछ शेयर ने निवेशकों को बिकवाली की ओर धकेल दिया। वर्ष 2023 में कई कंपनी के स्टॉक में जबरदस्त रिटर्न देखने को मिला तो वहीं पर कुछ स्टॉक पर बियर का दबाव देखने को मिला है।
आपको आज हम इस आर्टिकल के जरिये वर्ष 2023 में स्टॉक मार्केट का हाल बताते हैं। वर्ष 2023 की शुरुआत में जहां शेयर मार्केट हरे निशान पर कारोबार किया वहीं इस सकारात्मकता को जारी रखने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। इसके बाद भले ही बाजार में एक समय तेजी का दौर थम सा गया परंतु मार्च में शुरू हुई तेजी से निवेशकों की झोली भर गई। इस तरह 2023 में दलाल स्ट्रीट में शेयर का उतार-चढ़ाव वाला दौर शुरू हुआ।
आइए, जानते हैं कि इस साल कौन-से शेयर ने कब-कब सबका फोकस अपनी ओर खींचा?
जनवरी
बढ़ती महंगाई दर और ब्याज दरों से जहां एक ओर निवेशक परेशान थे तो वहीं 25 जनवरी को जारी हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने अदाणी ग्रुप के लिए परेशानी खड़ी कर दी। यह रिपोर्ट लगभग 106 पेज की थी, जिसमें अदाणी ग्रुप पर कई तरह के आरोप लगाए गए। इस रिपोर्ट में अदाणी समूह पर स्टॉक की हेरा-फेरी, कॉर्पोरेट कुशासन, वित्तीय जालसाजी जैसे कई आरोप लगाए गए।
इस रिपोर्ट के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में जबरदस्त बिकवाली देखने को मिली। इस बिकवाली का असर गौतम अदाणी की नेट वर्थ पर देखने को मिली। एक महीने में गौतम अदाणी की नेट वर्थ 100 अरब डॉलर से ज्यादा कम हो गई। इस गिरावट के बाद दुनिया के टॉप-10 अमीरों की लिस्ट में से भी गौतम अदाणी का नाम भी बाहर चला गया।
फरवरी
2023 का दूसरा महीना भी अदाणी ग्रुप के लिए उतना खास नहीं रहा। अदाणी ग्रुप के शेयर की बिकवाली के बाद 1 फरवरी को अदाणी एंटरप्राइजेज में 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर को रद्द किया। जहां एक अदाणी ग्रुप के शेयर की बिकवाली ने बाजार को प्रभावित किया तो वहीं दूसरी तरफ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपेक्स आवंटन को बढ़ा दिया और बाहुबली बजट में टैक्स कम करके राहत की सांस दी।
अदाणी ग्रुप में हो रही बिकवाली के बाद भी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने अपने अर्ध-वार्षिक समीक्षा में निफ्टी-50 के घटकों में कोई भी बदलाव नहीं किया है।
मार्च
अदाणी ग्रुप के मार्च महीना उतना खास नहीं रहा। मार्च में जीक्यूजी पार्टनर्स ने अदाणी ग्रुप्स की 4 कंपनियों के स्टॉक 15,000 करोड़ रुपये में खरीदे। अदाणी ग्रुप ने अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अदाणी ग्रीन एनर्जी, अदाणी ट्रांसमिशन और अदाणी एंटरप्राइजेज की हिस्सेदारी को भी बेच दिया।
जहां शेयर मार्केट में अदाणी ग्रुप की कंपनियों ने बाजार को प्रभावित किया। वहीं, अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक, सिग्नेचर बैंक और फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के पतन ने मार्केट में उथल-पुथल मचा दिया।
अप्रैल
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने अप्रैल में एएसबीए की सर्विस शुरू की। इस सुविधा ने स्टॉक खरीदने और बेचने के प्रोसेस को आसान बना दिया। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक ने मई में पहली बार रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का फैसला लिया।
मई
मई में मैनकाइंड फार्मा के आईपीओ ने सबका फोकस अपनी तरफ खींचा। कंपनी ने इस आईपीओ में 4,326 रुपये जुटाए जिसने शेयर मार्केट में एक धूम मचा दी। कंपनी के आईपीओ को निवेशकों से काफी अच्छा रिस्पांस मिला। मैनकाइंड फार्मा के शेयर 26 फीसदी प्रीमियम के साथ बंपर लिस्ट हुआ।
मई में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को सिंगापुर एक्सचेंज से निफ्टी-50 को डीलिस्ट कर दी। वहीं एनएसई आईएफएससी एक्सचेंज पर लिस्टिंग को भी स्टॉक एक्सचेंज ने मंजूरी दे दी। वहीं, सेबी ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को रद्द करने का फैसला लिया है। यह बाजार में हो रहे दुरुपयोग को रोकने के लिए फैसला लिया गया।
इसके अलावा सेबी ने फाइनफ्लुएंसर के खिलाफ कार्रवाई की और सलाहकार के लिए मानदंडों को दय किया। इसके अलावा सेबी ने प्रसिद्ध यूट्यूबर पीआर सुंदर को दंडित किया और एक साल तक उनके कारोबार को रोक दिया।
जून
2023 के जून महीने में भी शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव देखने को मिला था। जून में कोल इंडिया ने ऑफर-फॉर-सेल लॉन्च किया था। इसके बाद दुनिया के सबसे बड़े कोयला उत्पादक कोल इंडिया को अपनी 3 फीसदी हिस्सेदारी बेचने में मदद मिली है। वहीं विप्रो ने 12,00 करोड़ रुपये के स्टॉक बायबैक का ऐलान किया। इसके बाद विप्रो के शेयर पर सबका फोकस रहा।
जून में सेबी ने आईपीओ की लिस्टिंग की समय अवधि को T+6 से कम करके T+3 करने को मंजूरी दे दी। इसके अलावा स्विस बैंक ने क्रेडिट सुइस को टेकओवर कर लिया। इस अधिग्रहण का असर भारतीय शेयर मार्केट के साथ वैश्विक बाजार पर भी पड़ा।
जुलाई
1 जुलाई को एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी का मर्जर हो गया था। इस मर्जर के बाद एचडीएफसी भारत का सबसे बड़ा बैंक बन गया। वहीं, 3 जुलाई को निफ्टी-50 पर एनएसई आईएफएससी एक्सचेंज की लिस्टिंग हुई। 12 जुलाई को एचडीएफसी लिमिटेड के स्टॉक शेयर मार्केट के दोनों सूचकांक से डिलिस्ट हो गए थे।
देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जियो फाइनेंशियल सर्विस को 20 जुलाई को मर्जर किया। इसके बाद जियो फाइनेंशियल के शेयर सेंसेक्स और निफ्टी पर लिस्ट हुए। 20 जुलाई के बाद से जियो के स्टॉक पर सभी निवेशकों का फोकस बना हुआ है।
अगस्त
अगस्त में स्पेस सेक्टर के स्टॉक पर सबका फोकस था। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद बाजार में स्पेस सेक्टर के स्टॉक में तेजी देखने को मिली थी। इसी के साथ 28 अगस्त को रिलायंस इंडस्ट्रीज के वार्षिक बैठक में लिए गए फैसलों के बाद कंपनी के शेयर में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अगस्त महीने के खत्म होते समय बीएसई ने 16 अक्टूबर से बीएसई बैंकेक्स के सभी वायदा को ट्रांसफर करने की घोषणा की थी।
सितंबर
सितंबर महीने की शुरुआत में ही उदय कोटक ने कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी और सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कंपनी के स्टॉक में गिरावट देखने को मिली थी। इसके अलावा देश में आयोजित जी-20 बैठक ने भी शेयर मार्केट पर असर डाला। वहीं लार्सन एंड टुब्रो ने 10,000 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक को लॉन्च किया, जिसके बाद कंपनी के स्टॉक में तेजी दर्ज हुई।
अक्टूबर
अक्टूबर महीने में शेयर मार्केट के साथ वैश्विक बाजार में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिला था। दरअसल, अक्टूबर में हमास ने इजरायल पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण के बाद जहां एक तरफ क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली तो वहीं, इसने शेयर मार्केट पर भी असर डाला। इसके अलावा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने 17,000 रुपये के शेयर बायबैक की एलान किया था। इस एलान के बाद टाटा ग्रुप के शेयर में उतार-चढ़ाव देखने को मिला।
नवंबर
नवंबर महीने में मामाअर्थ की सहायक कंपनी होनासा कंज्यूमर शेयर मार्केट में लिस्ट हुई। कंपनी के शेयर से कई निवेशकों को काफी लाभ हुआ। इसके अलावा 29 नवंबर को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सभी शेयरों का एम-कैप 4 ट्रिलियन के पार पहुंच गया। वहीं 30 नवंबर को टाटा टेक्नोलॉजीज के स्टॉक लिस्टिंग हुई। कंपनी के स्टॉक में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। लिस्टिंग के दिन ही कंपनी के शेयर का मूल्य लगभग दोगुना हो गया।
दिसंबर
दिसंबर में सेबी ने आईपीओ की लिस्टिंग की समयसीमा घटाकर T+2 दिन कर दिया। इस के बाद आईपीओ की लिस्टिंग सबसे तेज हो गई। वहीं, 3 राज्य में विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद शेयर मार्केट में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। चुनावी परिणामों के बाद निफ्टी पहली बार 21,000 अंक और सेंसेक्स 71,000 अंक के पार पहुंच गया। इसी के साथ निफ्टी में सूचीबद्ध कंपनियों का भी एम-कैप 4 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच गया।