शाहजहांपुर। पुलिया निर्माण में निर्माण एजेंसी की लापरवाही ने शुक्रवार को अधिवक्ता मोहम्मद नुमैर और स्वजन की जिंदगी खतरे में डाल दी। शुक्रवार को वह जैतीपुर-तिलहर रोड पर बेफिक्र कार दौड़ा रहे थे, अचानक सड़क खत्म हो गई।
अधबने खंभे थे
सामने निर्माणाधीन पुलिया के अधबने खंभे थे, ब्रेक लगाते-लगाते कार उन्हीं पर फंसकर रह गई। अधिवक्ता और स्वजन आधा घंटा उसी अवस्था में कार में फंसे रहे। इसके बाद ग्रामीणों ने सीढ़ी के सहारे उन्हें बाहर निकाला।
अलीगढ़ के मुहल्ला सरसैयद नगर निवासी अधिवक्ता मोहम्मद नुमैर की स्थानीय हयातपुर मुहल्ला में रहने वाले रिश्तेदार के घर आ रहे थे। उन्होंने फोन पर बताया कि दातागंज-जैतीपुर होते हुए तिलहर फिर शाहजहांपुर पहुंचना था। सुबह आठ बजे उनकी कार जैतीपुर के मरुआ झाला गांव के पास पहुंची थी।
सड़क खाेदी थी
वहां निर्माण एजेंसी मैसर्स शकुंतला नहर पर पुलिया बना रही। इसके लिए सड़क खोद दी गई है। आसपास कोई संकेतक या डायवर्जन का निशान नहीं होने के कारण समान गति से चलते रहे। अचानक सामने देखा कि सड़क टूटी है और सामने पुलिया निर्माण हो रहा। तत्काल ब्रेक लगाए मगर, कार निर्माणाधीन स्थल पर फंस गई। कार से नीचे नहीं उतर सकते इसलिए अंदर से चीखकर आवाज लगाते रहे। पीछे वाली सीट पर बैठी मां रिहान और भाई भी मदद के लिए चीखते रहे।
शोर सुनकर ग्रामीणों की भीड़ जुटी, सीढ़ी मंगाई गई तब नीचे आए। कार्यदायी संस्था मैसर्स शकुंतला के कर्मचारियों से आपत्ति जताई तो कहने लगे कि मालिक रमेश से बात करो। आरोप है कि कर्मचारियों से अभद्रता भी की। बाद में मोहम्मद नुमैर ने फोन कर क्रेन मंगवाई और कार को फरीदपुर के एक शोरूम में भेजा। इस संबंध में निर्माण एजेंसी के कर्मचारियों से पक्ष लेने का प्रयास किया मगर, किसी ने बात नहीं की।
निर्माण स्थल से पहले किया गया है रूट डायवर्ट
निर्माण स्थल से कुछ मीटर पहले रास्ता बदला गया है। वाहनों को एक खेत से होकर गुजारा जा रहा है। अधिवक्ता का कहना है कि इसका कोई संकेतक नहीं लगा था, जबकि लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता रथिन सिन्हा इससे इन्कार कर रहे।
उनका कहना है कि डायवर्जन बना है, आसपास बोरियां भी लगाई गई हैं। कार फंसने की जानकारी शुक्रवार शाम को हुई है। इसकी जांच करा रहे हैं। विभाग की ओर से सहायक अभियंता पवन कुमार व चार अवर अभियंता इस निर्माण की निगरानी कर रहे हैं।
मुआवजा के लिए दावा कर सकता है पीड़ित पक्ष
वरिष्ठ अधिवक्ता विनय शुक्ला का कहना है कि निर्माण कार्य कराते समय निर्माण एजेंसी को बोर्ड लगाना अनिवार्य होता है। यदि कहीं खतरे वाली स्थिति है तो इसका संकेत भी देना होगा। ऐसा नहीं है तो पीड़ित व्यक्ति कानूनी कार्रवाई और मुआवजा के लिए दावा कर सकता है। दुर्घटना की वजह से आर्थिक नुकसान का व्यय भी मुआवजा बतौर लेने का अधिकार है।