किसानों की आलू की फसल के लिए अभिशाप हो सकता है कोहरा

  • फसलों की करते रहे निगरानी, विशेषज्ञ से ले सलाह फिर करें प्रबंधन

निष्पक्ष प्रतिदिन/लखनऊ

राजधानी में पिछले दो दिन से कोहरा पड़ना शुरू हुआ है, जो आलू के साथ में टमाटर, मिर्च आदि फसलों को भी प्रभावित करेगा। प्रमुख रूप से जब बहुत अधिक ठंड के साथ कोहरा पड़ता है, तो आलू की फसल बहुत तेजी से प्रभावित होती है। मौसम में परिवर्तन है, दिन में जो गर्मी है, और शाम के समय जो तापक्रम निरंतर गिरता चला जाता है और सुबह बहुत अधिक ठंड के साथ कोहरा पड़ता है। उसे आलू की फसल पर झुलसा की समस्या तेजी से बढ़ेगी प्रमुख रूप से अगेती प्रजातियां मध्य तथा पछेती सभी प्रजातियों पर झुलसा का भीषण प्रकोप होता है। वातावरण का तापक्रम 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास होने से आलू की फसल पर झुलसा रोग की समस्या तीव्रता से बढ़ जाती है।


चन्द्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रमुख रूप से आलू की बुवाई समय पर हो गई थी, अभी इस समय आलू निरोग है। किसी भी प्रकार की कोई बीमारी आलू पर नहीं है।लेकिन पिछले दो चार दिनों से जो मौसम में परिवर्तन हो रहा है। वहां पर किसानों को सचेत रहने की आवश्यकता है। किसानों को सलाह दी जाती है, कि जिन किसानों ने आलू की सिंचाई नहीं की है।वह निरंतर हल्की सिंचाई करते रहें और अपनी फसलों की निगरानी करते रहें। यदि आलू की पत्तियों पर भूरे रंग के निशान दिखाई दे और टिश्यू हल्की हो जाए पौधे की पत्तियां पानीदार दिखाई दे पत्तियों पर काले पानी से भरे हुए पैचेज दिखाई दे तो समझना चाहिए, कि आलू का अगेती झुलसा का प्रकोप प्रारंभ हो गया है। प्रमुख रूप से इस समय मौसम में अधिक नमी और कोहरा से इस प्रकार के लक्षण पौधों पर दिखाई देंगे। अधिक नमी से यह बीमारी बहुत तेजी से फैलती है। इसके स्पोर बहुत प्रभावी होते हैं। पूरे खेत में बहुत तेजी से बीमारी फैल जाती है।

ठंड में यह भी प्रभावित

प्रमुख रूप से अधिक ठंड और कोहरा में फूल वाली फसलों में चना, मटर सरसों, टमाटर, मिर्च, चप्पन कद्दू, शिमला मिर्च तथा रसभरी भी अधिक प्रभावित होगी इन फसलों की भी किसान निगरानी करते रहें। गोभी में अधिक नमी न होने दें। कोहरा और ठंड से इन फसलों को बचाने के लिए सल्फर 02 ग्राम मात्रा को 01 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

समय पर करें प्रबंधन

कृषि विशेषज्ञ डॉ सिंह ने बताया की प्रमुख रूप से इस बीमारी का अगर समय से पहचान कर ली जाए तो इसका प्रबंधन हो जाता है। प्रमुख रूप से मेटालैक्सिल 08 प्रतिशत + मैकोंजेब 64 प्रतिशत फफूदी नाशक की 03 ग्राम मात्रा को 01 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर आलू की फसल पर छिड़काव करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है छिड़काव बनाते समय मुख्य रूप से यह अवश्य ध्यान रखें कभी भी अधिक समय तक छिड़काव का घोल बनाकर ना रखें ताजा घोल बनाएं। फफूंदी नाशक सदैव रजिस्टर्ड दुकान से खरीदें और पक्का पर्चा प्राप्त कर लें। फफूदी नाशक के कंटेनर पर एक्सपायरी तिथि आवश्यक जांच लें।

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