बिना नहाए स्कूल पहुंचे बच्चे तो टीचर ने दी ऐसी सजा…

बरेली। पहली शिक्षक मां होती है मगर, उसमें दुलार ज्यादा है। वो भले ही पत्थर सी दिखे, फिर भी बातों पर मोम जैसी पिघल जाती है…शायद इसीलिए उनके सामने बच्चों की जिद टिक जाती है।

ठंड का वास्ता देकर कुछ बच्चों ने ऐसी ही जिद पकड़ ली, वे बिना नहाए स्कूल चले आए। यहां दूसरे शिक्षक से वास्ता पड़ा। वो दुलार तो करते हैं मगर, भविष्य गढ़ने की खातिर अनुशासन का दायरा भी रखते हैं। बिना नहाए स्कूल आए बच्चों को उन्होंने ऐसी सीख दी, जोकि संभवत: मस्तिष्क पर अटल हो जाएगी।

उन्होंने पंपिंग सेट चलवाया और बच्चों को डुबकी लगवा दी। हर डुबकी पर एक वाक्य कहलवाते गए…बोलो- अब मैं रोज नहाकर स्कूल आऊंगा। साफ रहकर बीमारियों को करीब नहीं आने दूंगा।

अनुशासन का अनोखा पाठ
अनुशासन का अनोखा पाठ सोमवार को फरीदपुर के छत्रपति शिवाजी इंटर कालेज में पढ़ाया गया। प्रार्थना सभा के बाद शिक्षक बच्चों से नियमित पूछते हैं कि कौन-कौन आज नहाकर नहीं आया है? सोमवार को सवाल उठा तो आठ बच्चों ने हाथ उठा दिया…गुरुजी ठंड बहुत है इसलिए हम नहाकर नहीं आए हैं।

शिक्षक ने सवाल किया- आप लोग तो शनिवार को भी बिना नहाए आए थे। छठी से आठवीं कक्षा के इन बच्चों के मौन से जो बयां हुआ, उसे गुरुजी ने भांप लिया। प्रधानाचार्य रणविजय सिंह यादव ने सबक दिया- देखो बच्चों, जिस बात से ज्यादा डरोगो, वह उतना ही अधिक डराएगी। आओ, तुम्हारे मन से ठंड का डर निकालते हैं।

आठ बच्चों को लगवाई गई डुबकी
उन सभी को पंपिंग सेट वाले स्थान पर ले गए, नहाने को कहा। बच्चे भला क्या करते, ताजा पानी में पहुंचते ही ठंड दूर हो गई। हिम्मत बंध गई, वे सभी कहने लगे-अब रोज नहाकर आएंगे। सभी को तुरंत खाली कक्ष में भेजकर कपड़े बदलवाए। उन्हें समझाया कि गंदे रहोगे तो बीमारियां घेर लेंगी। इस प्रकरण में डुबकी तो आठ छात्रों को लगानी पड़ी मगर, सीख स्कूल के सभी बच्चों तक पहुंच गई।

प्रधानाचार्य ने इस घटनाक्रम का वीडियो स्कूल अभिभावकों के बनाए ग्रुप पर प्रसारित कर अपील की कि बच्चों की ऐसी जिद न मानें, जिससे अनुशासन प्रभावित हो। शिक्षक भी बच्चों के अभिभावक होते हैं। उन्हें अच्छे-बुरे की सीख देनी जरूरी है। अनुशासन सिखाना जरूरी है।

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