- काकोरी शहीद स्मारक पर काकोरी शहीद दिवस की 96वी वर्षगांठ के अवसर पर भव्य कार्यक्रम
लखनऊ– प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 19 दिसंबर को काकोरी शहीद स्मारक पर काकोरी शहीद दिवस की 96वी वर्षगांठ के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्यमंत्री भारत सरकार कौशल किशोर और विशिष्ट अतिथि विधायक मलिहाबाद जयदेवी रही। कार्यक्रम की शुरुआत केंद्रीय राज्य मंत्री, विधायक मलिहाबाद एवं जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार द्वारा शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करते हुए की गई।
उक्त के बाद केंद्रीय राज्यमंत्री,विधायक मलिहाबाद एवं जिलाधिकारी द्वारा परिसर में लगे काकोरी शहीद स्मृति युवा मेला में छात्राओं द्वारा लगाए गए स्टालों का अवलोकन भी किया गया। उक्त के बाद जिलाधिकारी द्वारा केंद्रीय राज्यमंत्री एवं विधायक मलिहाबाद का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट करके किया गया उपजिलाधिकारी सदर अंकित शुक्ला द्वारा जिलाधिकारी का स्वागत उनको पुष्पगुच्छ भेट करके किया गया। उक्त के बाद राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम का गायन, काकोरी शहीदो का सक्षिप्त परिचय, उपस्थित प्रमुख प्रबुद्धजनों द्वारा श्रद्धांजलि, देश भक्ति गीत एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की भी प्रस्तुति की गई।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर ने कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलन से सम्बन्धित अनेक ऐतिहासिक घटनाओं में काकोरी की घटना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। 04 फरवरी 1922 में चैरी-चैरा काण्ड के बाद गाँधीजी द्वारा 11 फरवरी 1922 को बारदौली में असहयोग आन्दोलन को स्थगित करने की घोषणा की गयी। यह निर्णय क्रांतिकारी आन्दोलन को पुनः जीवित करने में एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। आजादी के दीवाने क्रांतिकारी नवयुवक भारत माता को स्वतंत्र कराने के लिए कटिबद्ध थे। उद्देश्य की पूर्ति के लिए अश्फाक उल्ला खाँ, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, पं० रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, चन्द्रशेखर आजाद आदि कान्तिकारी युवकों ने एक अखिल भारतीय सम्मेलन के बाद अक्टूबर 1924 में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की। इसका उद्देश्य सशस्त्र कान्ति के माध्यम से औपनिवेशिक सत्ता को उखाड़ फेकना और एक संघीय गणतंत्र संयुक्त राज्य भारत की स्थापना करना था। संघर्ष प्रारम्भ करने से पूर्व आवश्यक था व्यापक प्रचार कार्य, नौजवानों को अपने दल में सम्मिलित करना, उन्हें प्रशिक्षित करना एवं हथियारों को एकत्र करना। इसके लिए धन की आवश्यकता थी। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु इन कान्तिकारियों ने सरकारी खजाने को लूटने का निश्चय किया। निरंकुश ब्रिटिश सत्ता को चेतावनी देने एवं धन एकत्र करने के निमित्त पहली बड़ी कार्यवाही काकोरी में की गयी। सरकारी खजाना लूटने की यह घटना काकोरी एक्शन के नाम से प्रसिद्ध है। 09 अगस्त, 1925 को काकोरी के निकट 8-डाउन ट्रेन को रोक कर रेल विभाग का रू0 4679-1-6 राशि का खजाना लूटा गया। इस घटना ने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला दी। प्रतिक्रियास्वरूप ब्रिटिश सरकार ने व्यापक स्तर पर गिरफ्तारियाँ की तथा प्रारम्भिक जाँच के उपरान्त कान्तिकारियों पर मुकदमा चलाया गया। इन पर ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध युद्ध की घोषणा करने, राजनैतिक षडयन्त्र रचने, डकैती और हत्या आदि के आरोप लगाये गये। मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि जेल में क्रांतिकारियों ने खराब खाना मिलने एवं राजनैतिक बन्दी की श्रेणी प्रदान किये जाने को लेकर 16 दिन का अनशन किया। बाध्य होकर ब्रिटिश सरकार ने इनकी अनेक माँगों को स्वीकार कर लिया। इन कान्तिकारियों पर सेशन जज हैमिल्टन की अदालत में मुकदमा चलाया गया इनकी पैरवी के लिए एक समिति भी बनायी गयी, जिसमें पं० मोतीलाल नेहरू, पं0 जवाहर लाल नेहरू, पं० गोविन्द बल्लभ पंत, बीके चौधरी, सीबी गुप्त, मोहन लाल सक्सेना आदि वकील थे। सेशन जज हैमिल्टन ने 6 अप्रैल, 1927 को पं० राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी और रोशन सिंह को फाँसी, शचीन्द्र नाथ सान्याल को आजीवन कालापानी, मन्मथनाथ गुप्त को 14 वर्ष, जोगेश चन्द्र चटर्जी, मुकुन्दी लाल, गोविन्द चरण, राजकुमार सिन्हा, रामकृष्ण खत्री को 10 वर्ष, विष्णु शरद दुबलिश, सुरेश चन्द्र भट्टाचार्य को 7 वर्ष, भुपेन्द्र नाथ सान्याल, रामदुलारे त्रिवेदी, प्रेम कृष्ण खन्ना, बनवारी लाल, प्रणवेश कुमार चटर्जी और रामनाथ पाण्डे को 5 वर्ष कैद की सजा सुनायी। पूरक मुकद्दमें में अशफाक उल्ला खाँ को फांसी एवं शचीन्द्रनाथ बख्शी को आजीवन कारावास की सजा हुयी । चन्द्रशेखर आजाद को ब्रिटिश जीवित गिरफ्तार नही कर सकी। 27 फरवरी, 1931 को अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद में ब्रिटिश पुलिस के साथ सशस्त्र संघर्ष में चन्द्रशेखर आजाद को वीरगति प्राप्त हुयी।इस घटना के अमर शहीदों को आज ही के दिन अंग्रेजों द्वारा फांसी दी गयी थी। उनकी याद में प्रतिवर्ष काकोरी शहीद स्मारक पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं इसी श्रृंखला में इस वर्ष दिनांक 15 दिसम्बर 2023 से छात्र-छात्राओं के मध्य विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें कई विद्यालयों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। आज काकोरी शहीदों को याद करते हुए मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।