अचानक हो रही मौत को लेकर हृदय रोग विशेषज्ञों के पास भी अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं लेकिन माना जा रहा है कि कोरोना और उसके चलते बदली दिनचर्या बड़ी वजह हो सकती है। यानी कोरोना में जो नुकसान हुए, लोग अब जल्द से जल्द उनकी भरपाई कर लेना चाहते हैं। इसके लिए जरूरत से ज्यादा मानसिक और शारीरिक दबाव झेलना कई बार खतरनाक साबित हो रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों का सुझाव है कि युवा भी समय-समय पर दिल की सेहत की जांच कराते रहें, ताकि समय रहते बीमारी पकड़ में आ सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं को अचानक अधिक परिश्रम के बजाय शरीर को मजबूत बनाने की जरूरत है। सबसे अधिक जरूरत इस बात की है कि 25 साल से अधिक उम्र के युवाओं को अपने शुगर, ब्लड प्रेशर व हार्ट की जांच जरूर करानी चाहिए। इसके अलावा जिम, व्यायाम और परिश्रम वाले खेल के दौरान खुद को सहज बनाए रखने का विशेष ख्याल रखना होगा।
सोमवार को एम्स की ओपीडी में इलाज कराने आए बस्ती जिले के विजय अचानक गिरकर बेहोश गए। इलाज के दौरान मौत हो गई। दोपहर में एम्स थाना क्षेत्र के डुमरी खास निवासी बाबूराम पासवान, एम्स की ओपीडी में इलाज कराने आए थे। गेट के बाहर गिरकर बेहोश हो गए। लोग जब तक इलाज के लिए इमरजेंसी वार्ड में लेकर पहुंचे, उनकी मौत हो गई थी।
इससे पहले 16 नवंबर को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दोस्तों से मिलने आए एक डाॅक्टर अचानक ही बेहोश होकर गिर पड़े थे। जब तक उपचार शुरू होता, उनकी सांसें थम चुकी थीं। दो दिसंबर को डीएवी पीजी कॉलेज में बैडमिंटन खेलने के दौरान छात्रा गौरी मिश्रा अचानक गिरकर बेहोश हो गई। जब तक अस्पताल पहुंचाया जाता, उसकी मौत हो गई। एम्स में छह दिसंबर को ओपीडी में इलाज कराने पहुंचे कुशीनगर के ढाढ़ा निवासी अरुण अचानक गिरकर बेहोश हो गए। इमरजेंसी में इलाज शुरू हुआ लेकिन जान नहीं बची।
महीने भर के भीतर हुई इन घटनाओं ने सबको हैरत में डाल दिया है। फिजिशियन डॉ. राजेश कुमार बताते हैं कि शुगर, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग समेत कई बीमारियां जो पहले 40 साल के ऊपर के लोगों में होती थीं, वह अब बच्चों में भी होने लगी है। इसलिए यह मान लेना कि युवाओं में हृदयाघात के मामले नहीं होंगे, यह गलत है। बल्कि खान-पान और गलत दिनचर्या ने युवाओं को अधिक खतरे में डाल दिया है।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव मिश्र बताते हैं कि भागदौड़ भरी जिंदगी में खाना, सोना, खेलना सब कुछ बदल रहा है। शहरी इलाकों में बच्चे इनडोर गेम अधिक खेल रहे हैं, लेकिन वही बड़े होने पर कई-कई घंटे जिम में पसीना बहाते हैं। इसका सीधा असर शरीर की हड्डी, मांसपेशियों और अन्य अंगों पर भी पड़ रहा है। इसके चलते युवा जल्दी बीमार हो रहे हैं।
ज्यादा ऊर्जा वाले खेलों से पहले हृदय की जांच
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश चंद्र शाही ने कहा कि हृदय से संबंधित अधिकांश बीमारियां अचानक ही सामने आती हैं। यह अंग 30 प्रतिशत रक्त की उपलब्धता पर भी पूरी क्षमता से कार्य करता है। लेकिन जब अत्यधिक तनाव के चलते कोई रक्त वाहिका अचानक फटती है तो हिस्से की मरम्मत के लिए शरीर के कई अंग एक साथ सक्रिय होते हैं। इस वजह से वह रक्त वाहिका पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती है। चूंकि ऐसा जंक्शन प्वाइंट पर ही अधिक होता है, इसलिए हृदय उस वक्त केवल कंपन कर पाता है, पंप बंद हो जाता है। ऐसी स्थिति मृत्यु का कारण बनती है। इसलिए जिन खेलों में अधिक उर्जा की जरूरत है या व्यायाम करने जा रहे हैं तो पहले हृदय की स्थिति की जांच करना जरूरी है।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गुप्ता ने कहा कि हमारे दिनचर्या में हुआ परिवर्तन भी बहुत सी समस्याओं की जड़ है। कोरोना काल में करीब दो साल तक हम सभी ने घर में आराम से रहकर काम किया। इसके बाद जब स्थिति सामान्य हुई तो पीछे दो साल का काम भी जल्द से जल्द करना चाहते हैं। नुकसान की भरपाई एकदम करना सही नहीं है। जिनकी फिटनेस खराब हुई है, वे कुछ दिनों में ही पूरी तरह से फिट होने के लिए क्षमता से कई गुना अधिक एक्सरसाइज करने लगते हैं।