नई दिल्ली। सनातन धर्म सूर्य देव को भी पूजनीय माना गया है। साधकों द्वारा प्रतिदिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो साधक रोजाना सूर्य देव की पूजा करके उन्हें जल अर्पित करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जिस प्रकार प्रत्येक देवी-देवता का एक विशेष वाहन होता है ठीक उसी प्रकार सूर्य देव रथ पर सवार होते हैं, जिसमें 7 घोड़े जुते हुए होते हैं। आइए जानते हैं इस सात घोड़ों का महत्व।
यह हैं सूर्य के सात घोड़े
सूर्य देव के रथ में लगे सात घोड़ो का नाम इस प्रकार है – गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगति, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति। यह घोड़े सफेद रंग के और देखने में बहुत ही सुंदर होते हैं।
ये है 7 घोड़ों का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस सात घोड़ो का संबंध सप्ताह के सात दिनों से माना गया है। इसके अलावा, यह भी माना गया है कि सूर्य देव के रथ में जुते सात घोड़े इन्द्रधनुष के सात रंगों को भी दर्शाते हैं। वहीं, सूर्य की किरणों में 7 तरह की रौशनी पाई जाती है, जिन्हें यह 7 घोड़े दर्शाते हैं।
रथ से जुड़ी अन्य रोचक बातें
सूर्य देव के रथ के सारथी अरुण देव हैं जो भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के भाई हैं। सूर्य के रथ में केवल एक ही पहिया है जिसे संवत्सर कहा जाता है। इस पहिये में 12 तीलियां लगी हुई है, जो साल के 12 महीनों को दर्शाती हैं। इस रथ का एक सिरा मानुषोत्तर पर्वत पर तो दूसरा सिरा मेरु पर्वत पर स्थित माना गया है। शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है, कि सूर्य देव का रथ का विस्तार नौ हजार योजन है।