रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार का सीएम फेस कौन होगा इसके लेकर सियासी गलियारे में चर्चा जोरों पर चल रही है। आज अगर मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित हो जाता है तो मंत्रिमंडल के सदस्यों का भी चयन कर लिया जाएगा। पार्टी सूत्रों की माने तो राज्य में मुख्यमंत्री के पांच प्रमुख दावेदारों में अगर पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के चेहरे पर सहमति नहीं बनी तो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से बड़ा चेहरा सामने आ सकती है। इनके अलावा सीएम के रूप में अरुण साव व ओपी चौधरी और आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय और रेणुका सिंह के नाम पर मुहर लग सकती है।
इन सभी दिग्गजों में से कोई एक ही मुख्यमंत्री पद पर आसीन होगा। सीएम पद के बाद बचे हुए चार अन्य नेताओं में से एक को उप मुख्यमंत्री का पद भी दिया जा सकता है। इसके अलावा कुछ को मंत्री समेत विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष भी बनाया जा सकता है। इन सभी को मिलाकर राज्य में मुख्यमंत्री समेत 13 मंत्री बन सकते हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस बार मंत्रिमंडल में भी नया और पुराने मंत्रियों का मिला-जुला समूह देखने को मिल सकता है। इसके अलावा दो महिला मंत्री भी बन सकती हैं।
रायपुर संभाग से ये मंत्री बने प्रबल दावेदार
रायपुर संभाग से मंत्री बनने के प्रबल दावेदारों में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत और अजय चंद्राकर का नाम शामिल है। बृजमोहन साल 2023 में 8वीं बार जीत अपने नाम करके आए हैं। वर्ष 1990-92 में बृजमोहन अविभाजित मध्य प्रदेश में मंत्री रहे। राज्य बनने के बाद साल 2003, 2008 और 2013 में भी अहम विभागों के मंत्री पद पर बने रहे। वहीं, युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे राजेश मूणत भी विधायक चुनकर आए हैं।
वहीं बात करें तो भाजपा में तेजतर्रार छवि वाले अजय चंद्राकर 1998 में पहली बार विधायक बने। साल में 2003 में दूसरी बार तो साल 2008 में उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा। लेकिन फिर से साल 2013, 2018 और अब 2023 में 5वीं बार चुनकर आए हैं। 2003 से 2008 तक चंद्राकर मंत्री रहे। 2013 में जीत के बाद फिर से मंत्री बने थे।
दुर्ग संभाग से विजय शर्मा व दयालदास बघेल बने दावेदार
राज्य के दुर्ग संभाग में ब्राह्मण समुदाय से मंत्री बनने के लिए सबसे प्रबल दावेदार विजय शर्मा हैं। कवर्धा के नव निर्वाचित विधायक विजय शर्मा ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर आवास, मोर अधिकार का अभियान चलाया। इसके अलावा पार्टी के संगठनात्मक कार्यो में बतौर महामंत्री उनकी महती भूमिका रही।