नई दिल्ली। दुनियाभर में चीन एक बार फिर चिंता का विषय बना हुआ है। दरअसल, यहां बीते कुछ महीनों से लगातार रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के मामले सामने आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक वर्तमान में चीन बच्चों में निमोनिया के मामलों में वृद्धि से परेशान है। ऐसे में सभी को यह चिंता सता रही थी कि कहीं यह किसी नई महामारी की दस्तक तो नहीं।
हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इसे लेकर यह साफ कर चुका है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी के पीछे कोई नया पैथोजन नहीं है। चीन के अलावा दुनिया के अन्य देशों में भी निमोनिया के यह मामले सामने आ चुके हैं। खुद भारत में भी इसके 7 मामले सामने आए हैं। हालांकि, भारत में मिले निमोनिया के इन मामलों का चीन के रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से कोई संबंध नहीं है। आइए इस आर्टिकल में जानें चीन में फैल रहे निमोनिया के 5 खतरनाक संकेतों के बारे में-
निमोनिया क्या है?
एक या दोनों फेफड़ों मे होने वाले इन्फेक्शन को निमोनिया कहा जाता है। इसके कारण फेफड़ों में सूजन हो जाती है, जो आमतौर पर किसी संक्रमण के वजह से ही होती है। इससे पीड़ित अधिकांश लोग कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं। हालांकि, बुजुर्गों और छोटे बच्चों जैसे कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को गंभीर बीमारी का खतरा होता है। गंभीर मामलों में, इसकी वजह से अस्पताल में भर्ती होना और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
निमोनिया के पांच प्रमुख लक्षण-
निमोनिया को गंभीर रूप लेने से रोकने का सबसे कारगर तरीका सही समय पर इसका निदान और इलाज है। इसके पांच प्रमुख लक्षण हैं, जिनकी मदद से इस बीमारी का जल्द ही पता लगाया जा सकता है।
दस्त
मतली या उल्टी
सांस की तकलीफ
थका हुआ या कमजोर महसूस करना
सांस लेने या खांसने के दौरान सीने में दर्द
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन संकेतों को आसानी से सर्दी या फ्लू के लक्षण समझा जा सकता है। साथ ही यह लक्षण भी व्यक्ति-व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं, जो मरीज की उम्र पर निर्भर करते हैं। 65 साल से कम उम्र के लोगों में निमोनिया के लक्षण कम ध्यान देने योग्य हो सकते हैं। उनमें इसके लक्षण अक्सर कम और हल्के होते हैं।
निमोनिया के अन्य लक्षण
निमोनिया के अन्य लक्षणों में खांसी के साथ पीले या हरे रंग का बलगम आना, तेज बुखार, शरीर में दर्द, बहुत अधिक थकान महसूस होना, भूख न लगना, सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आना और भ्रमित महसूस करना शामिल है, जो वृद्ध लोगों में आम है।