दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 11 दिसंबर को सुनवाई करने वाला है. सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर चुका है. इसके बाद दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम ने पुनर्विचार याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने एक बार फिर से अपनी रिहाई के लिए देश की शीर्ष अदालत से गुहार लगाई है. 11 दिसंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ये तयM करने वाला है कि सिसोदिया की इस याचिका को सुना जाए या नहीं.
दरअसल, मनीष सिसोदिया ने दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. शीर्ष अदालत ने 30 अक्टूबर को इस फैसले को खारिज कर दिया. इसके बाद अब दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम की तरफ से पुनर्विचार याचिका दायर की गई है. मनीष सिसोदिया दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में 26 फरवरी 2022 से जेल में हैं. उस इस महीने जेल में रहते हुए 10 महीने से ज्यादा का वक्त हो जाएगा.
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने क्या कहा था?
वहीं, 30 अक्टूबर को जब सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज किया गया, तो जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उनके पास त्वरित सुनवाई का अधिकार बरकरार है. पीठ ने इस बात को नोट किया था कि अभियोजन पक्ष का कहना है कि मुकदमे को छह से आठ महीने में खत्म कर दिया जाएगा. शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर सिसोदिया को लगता है कि अगले तीन महीने में ट्रायल बहुत ही धीरे-धीरे हो रहा है, तो वह एक और जमानत याचिका को दायर कर सकते हैं.
अदालत की तरफ से सिसोदिया को अपनी बीमार पत्नी से मिलने के लिए अंतरिम जमानत याचिका दायर करने की छूट भी दी गई थी. जस्टिस खन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा था, ‘किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने से पहले हिरासत में लेना या जेल भेजना बिना सुनवाई के सजा नहीं बननी चाहिए. अगर अभियोजन पक्ष के आश्वासन के बावजूद भी मुकदमा लंबा खिंचने लगता है और ये साफ हो जाता है कि फैसला जल्द नहीं आ सकता है, तो जमानत के लिए याचिका दायर की जा सकती है.’