जैसलेमर। जैसलेमर जिले के लाठी क्षेत्र का अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और खाने-पीने की प्रचुरता के चलते प्रवासी पक्षियों की पसंद बना हुआ है. यह पहला मौका है जब इस क्षेत्र में नॉब बिल्ड डक पक्षी नजर आएं हैं. पक्षी भोजन और अनुकूल वातावरण की तलाश में हजारों किमी तक का सफर तय करते हैं. जहां पसंदीदा ठिकाना और पसंद का भोजन मिल जाए, वहीं थम जाते हैं. उम्मीद की जा रही है कि अब नॉब बिल्ड डक के आने का सिलसिला शुरु हो जाएगा.
पक्षी अपने भोजन की तलाश मे सैकड़ों से हजारों किलोमीटर तक का सफर तय करते हैं. जहां पसंदीदा ठिकाना और पसंद का भोजन मिल जाए वहीं रम जाते हैं. ऐसा ही एक ठिकाना है आगरा मथुरा की सीमा पर स्थित जोधपुर झाल. नाब-बिल्ड डक जिसे नकटा भी कहते हैं जोधपुर झाल पर 50- 60 की संख्या में नर व मादा मौजूद हैं. तीस साल तक अपना जीवन जीने वाली नाब-बिल्ड डक का जोधपुर झाल पर ठिकाना यहां उपलब्ध हेविटाट व भोजन की प्रचुर उपलब्धता के कारण बन गया है. इनके इस साल यहां प्रजनन करने की पूरी संभावना है.
नॉब बिल्ड डक पक्षी
पहली बार इस बत्तख के जैसलमेर में नजर आने से पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर है. पक्षी प्रेमियों ने बताया कि नॉब-बिल्ड डक पक्षी का वैज्ञानिक नाम सार्किडिओर्निस मेलानोट्स है. हालांकि हिंदी में इसे नकटा भी कहा जाता है. बड़े आकार की यह बतख संपूर्ण भारत सहित पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार, लाओस, अफ्रीका आदि देशों में विचरण करते हैं.
वैज्ञानिक नाम सार्किडिओर्निस मेलानोट्स
पर्यावरण प्रेमी राधेश्याम पैमाणी ने बताया कि प्रवासी पक्षी नॉब-बिल्ड डक लाठी में पहली बार यहां नजर आया है. नॉब बिल्ड डक एक प्रवासी पक्षी है, जो प्रवास पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल आदि स्थानों पर प्रवास करता है. लाठी स्थित तालाब पर पहली बार दिखाई देना पक्षीप्रेमियों के लिए खुशखबरी है.
एक बार में 7 से 12 अंडे देती है
आमतौर पर जोड़े या समूह में रहने वाला यह पक्षी कस्बे में स्थित तालाब पर नजर आया है. यह पक्षी अपना घोंसला पानी के नजदीक घास या जलीय वनस्पतियों के बीच जमीन अथवा बड़े पेड़ों के खोल या उनकी टहनियों पर बनाते हैं. नॉब बिल्ड डक का प्रजनन काल जून से सितंबर तक होता है. मादा एक बार में 7 से 12 की संख्या में अंडे देती हैं.