नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने देश की मध्यस्थता प्रणाली पर कब्जा जमा रखा है और अन्य योग्य लोगों को मौका नहीं मिलता है। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, अब हमें आत्मनिरीक्षण करने और आवश्यकता पड़ने पर कानून बनाने समेत आवश्यक बदलाव लाकर आगे बढ़ने की जरूरत है।
धनखड़ ने कहा, इस ग्रह पर कहीं भी, किसी अन्य देश में, किसी अन्य प्रणाली में, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने मध्यस्थता प्रणाली को इतना नहीं जकड़ रखा है। हमारे देश में यह बड़े पैमाने पर है। उन्होंने देश में मध्यस्थता प्रणाली पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की साहसी टिप्पणियों की भी सराहना की।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश मध्यस्थता क्षेत्र पर हावी हैं
आगे कहा कि एक व्यक्ति देश में न्यायपालिका के परिदृश्य को बदल रहा है। प्रधान न्यायाधीश ने मध्यस्थों की नियुक्ति में विविधता की कमी पर विचार किया है। उपराष्ट्रपति ने जस्टिस चंद्रचूड़ के हवाले से कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश मध्यस्थता क्षेत्र पर हावी हैं।
धनखड़ ने कहा, उन्होंने अपनी बात कही और मैं इसके लिए उन्हें सलाम करता हूं। उन्होंने कहा है कि योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, जो मध्यस्थता क्षेत्र में रूढ़िवादी मानसिकता को दर्शाता है। जस्टिस चंद्रचूड़ का साहसी बयान भारत में मध्यस्थता प्रक्रिया की रीढ़ को मजबूत बनाने में काफी मदद करेगा।
संविधान सभा के आचरण का पालन करें विधायिका
सदस्य संसद के शीतकालीन सत्र से पहले राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को विधायिका के सभी सदस्यों से देश की संविधान सभा में देखे गए व्यवहार का पालन करने का आग्रह किया, जिसके तीन साल के कार्यकाल के दौरान लेशमात्र भी व्यवधान नहीं हुआ था।
यहां आकाशवाणी रंग भवन में राजेंद्र प्रसाद स्मृति व्याख्यान में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह भी कहा कि देश में एक बड़ा बदलाव आया है, जो 2014 में शुरू हुआ था। धनखड़ ने कहा, मैं राजनीति की ओर इशारा नहीं कर रहा। लेकिन भारत जैसे विशाल देश में अगर राजनीतिक स्थिरता हो तो लोगों की प्रतिभाएं सही दिशा में आगे बढ़ती हैं। तीन दशक बाद 2014 में वह मौका आया, जब भारत को एक मजबूत एकदलीय सरकार मिली।