बीकेटी लखनऊ विकास खंड बीकेटी में सरकार किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए पशु आश्रय केंद्र बनाएं गए हैं| पर इन पशु आश्रय केंद्र से किसानों का कोई भला होने वाला नहीं है|किसान आज भी रात दिन जाग कर फसल की देखभाल करते हैं और यह केंद्र किसानों के लिए अभिशाप बने हुए हैं इन पशुओं को भरपेट चारा नसीब नहीं होता है हरा चारा उनको मिलना दूभर है|समुचित इलाज न होना एवम अव्यवस्थाओं बीच पशु घुट घुट कर जी रहे हैं इनको कोई पूछने वाला तक नहीं है|
इस क्षेत्र में 20 पशु आश्रय केंद्र हैं पशु आश्रय केंद्र सुल्तानपुर में 120 मवेशी हैं उनको खाने के लिए बिना कटा हुआ पुआल दिया जाता है यहां के कर्मचारी थोड़ा बहुत पुआल डालकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं। इस पशु आश्रय केंद्र में गंदगी का बोलबाला है पशु इस गंदगी में जीने के लिए बिवश हैं यहां पर पशुओं के लिए कोई साधन तक नहीं है यहां तक की पर्याप्त टीन शेड न होने के कारण पशु जाड़े में ठिठुर ठिठुर कर रात गुजारते हैं
इसी क्रम में पहाड़पुर सोनवा मानपुर सोनीकपुर भगवतीपुर सहादत नगर गढ़ा, चक पृथ्वीपुर तथा अन्य दर्जनों पशु आश्रय केंद्रो की दशा इतने साल बीत जाने के बाद उनकी तस्वीर तक नहीं बदल सकी है।
आज भी मवेशी तिनके तिनके के लिए मोहताज हैं| इन मवेशियों के साथ कठोर बर्ताव किया जाता है जब इस संबंध में खंड विकास अधिकारी बीकेटी पूजा पांडे से जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कड़ी कार्रवाई की जाएगी बस इसके अलावा कोई कार्यवाही नहीं की जाती जबकि सरकार₹50 प्रतिदिन जानवर देती है उसमें इनका पेट भरा जा सके पर आला अधिकारी इन पशुओं से क्या मतलब यही कारण है आए दिन भूख के कारण पशुओं की मृत्यु होती रहती है।
इस क्षेत्र में छुट्टा जानवर किसानों के लिए मुसीबत बने हुए हैं छुट्टा जानवर किसानों के फसल को तहस-नहस कर देते हैं इससे किसानों को रवी खरीफ फसलों से नाम मात्र पैदावार मिलती है कभी-कभी यह छुट्टा जानवर किसानों की फसल को चर कर बर्बाद कर देते हैं और उन्हें इन फसलों से उत्पादन तक नहीं मिलता है इससे वह अपने परिवार को रोजी-रोटी का जुगाड़ करने के लिए मेहनत मजदूरी करनी पड़ती है तब जाकर उनके बच्चों के लिए 2 जून का निवाला मुहैया हो पता है।
बताते चलें की ग्रामीण अपने दुधारू पशुओं को दूध दुह कर छोड़ देते हैं यह पशु भी किसानों की फसल के लिए जानी दुश्मन बने हुए हैं किसानों ने शासन से मांग की है की इन पशुओं की तत्काल व्यवस्था की जाए जिससे किसान की फसल की सुरक्षा हो सके।