नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर का बुधवार को 100 साल की उम्र में कनेक्टिकट में उनके घर पर निधन हो गया। हेनरी किसिंजर की भूमिका 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान काफी विवादास्पद रही। राजनयिक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता किसिंजर ने अमेरिका के दो राष्ट्रपतियों के अधीन काम किया। उनके कामकाज ने अमेरिकी विदेश नीति पर एक अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने एक अच्छे राजनयिक के तौर पर अपनी पहचान बनाई।
एक विद्वान राजनेता और सेलिब्रिटी राजनयिक हेनरी किसिंजर ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों रिचर्ड एम निक्सन और गेराल्ड फोर्ड के प्रशासन के दौरान और उसके बाद एक सलाहकार के रूप में काम किया। वह लेखक भी रहे और उन्होंने अमेरिकी विदेश नीति को बेहतर बनाया था। किसिंजर को वैश्विक राजनीति और व्यापार को आकार देने वाली शक्ति भी माना जाता है।
दो US राष्ट्रपति संग किया काम
हेनरी किसिंजर ने अपने कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस में हुई कई बैठकों में भाग लिया। नेतृत्व शैलियों पर उन्होंने एक किताब भी प्रकाशित की। उत्तर कोरिया की वजह से पैदा हुए परमाणु खतरे के बारे में सीनेट समिति के सामने उन्होंने गवाही दी। हेनरी किसिंजर जुलाई 2023 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने के लिए अचानक बीजिंग चले गए थे। 1970 के दशक में हेनरी किसिंजर ने रिपब्लिकन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल में राज्य सचिव के रूप में काम किया, इस दौरान कई परिवर्तनकारी वैश्विक घटनाओं में उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
कराई थी US चीन की दोस्ती
साल 1971 में राष्ट्रपति निक्सन के कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा, सलाहकार के तौर पर किसिंजर ने बीजिंग का गुप्त दौरा किया था। इस दौरे के गुप्त होने की वजह से वह पहले पाकिस्तान गए, उसके बाद वहां से उन्होंने बीजिंग की फ्लाइट ली। इस दौरान उन्होंने चीन के शीर्ष नेताओं से कई दिन तक बातचीत की थी। चीन के साथ अमेरिका की कूटनीतिक बातचीत में उनकी अहम भूमिका रही। उनकी विदेश नीति की वजह से ही अमेरिकी-सोवियत हथियार नियंत्रण वार्ता हुई, इज़रायल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच संबंधों का विस्तार हुआ और उत्तरी वियतनाम के साथ पेरिस शांति समझौते हुए।
विवादों में रहे हेनरी किसिंजर
अमेरिकी विदेश नीति के प्रमुख वास्तुकार के रूप में हेनरी किसिंजर का शासन 1974 में राष्ट्रपति निक्सन के इस्तीफे के साथ कम हो गया। फिर भी, वह राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड के शासन में राजनयिक के तौर पर काम करते रहे। जीवनभर उन्होंने अमेरिका को मजबूत राय दी। हेनरी किसिंजर का जन्म जर्मनी में हुआ था। यहूदियों के खिलाफ नाजी अभियान से पहले उनका परिवार अमेरिका आकर रहने लगा था। किसिंजर की प्रतिभा और व्यापक अनुभव के लिए उन्हें कई लोगों से सराहना भी मिली। वहीं कुछ लोगों ने उनको विशेष रूप से लैटिन अमेरिका में कम्युनिस्ट विरोधी तानाशाही के समर्थन के लिए युद्ध अपराधी करार दिया।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया
साल 1973 में अमेरिका के विदेश मंत्री पद पर रहते हुए हेनरी किसिंजर को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका नाम कंबोडिया पर अमेरिका की सीक्रेट बमबारी और दक्षिण अफ्रीका में क्रूर सैन्य शासन से जुड़ा था, इस वजह से उनके नाम पर विवाद हो गया था। परिणामस्वरूप नोबेल शांति समिति के दो सदस्यों ने चयन पद से इस्तीफा तक दे दिया था।