सोमवार को पाकुड़ परिसदन में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान हेमंत सोरेन पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि यदि सीएम निर्दोष हैं तो ईडी से भाग क्यों रहे। उन्हें ईडी के सवालों का जवाब देना चाहिए। वह खुद को कानून से ऊपर समझ रहे हैं। कानून से ऊपर कोई नहीं है। ईडी को विधि-सम्मत कार्रवाई करनी चाहिए।
‘मलेरिया से हुई मौत के बाद पीड़ितों के घर नहीं पहुंचे CM’
मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए बाबूलाल ने कहा कि ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम आईवास से अधिक कुछ नहीं। मुख्यमंत्री दो दिन पाकुड़ में रहते हैं, लेकिन लिट्टीपाड़ा एवं बोआरीजोर में मलेरिया से हुई मौत के बाद भी पीड़ितों के यहां नहीं पहुंचते।
उनके चेहरे पर दुख का कोई भाव नहीं, जबकि आदिवासियों की मौत हो रही है। ऐसे में फिर ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम का क्या मतलब। बोआरीजोर तो उनके विधानसभा क्षेत्र में ही पड़ता है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पीड़ित लोगों के इलाज के साथ-साथ राज्य सरकार को प्रयास करना चाहिए कि भविष्य में मलेरिया नहीं हो इसके उपाय करने चाहिए। साहिबगंज, पाकुड़ और गोड्डा के भाग मलेरिया प्रभावित क्षेत्र हैं। आधुनिक भारत में भी इस बीमारी से लोग मर रहे यह दुखद है।
खनन से उजड़ रहे गांव- बाबूलाल मरांडी
बाबूलाल ने कहा कि पाकुड़ में पत्थर के खदान के कारण कई गांव उजड़ गए हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी गांव नहीं उजड़े। गांव उजड़ने के चलते आदिवासी कहां चले जाते है, इसका बाद में पता नहीं चलता। पत्थर का खनन बंजर भूमि पर करें। खनन के कारण खेती को नहीं उजाड़ा जाना चाहिए।
उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि पैसे की लालच में सरकार गांव को उजाड़ दे, ऐसा नहीं होना चाहिए। हम विकास किसके लिए करना चाहते हैं। कानूनी रूप से भी गांव उजड़ रहे है तो उसे भी सरकार को रोक देना चाहिए। सरकार आदिवासियों के लिए बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन चार साल में पत्थर खदान का लीज किसको दिया है, यह किसी से छुपा नहीं है।
महुआ मोइत्रा के बयान पर सीएम चुप क्यों- बाबूलाल
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने राज्य के लोगों को कुत्ता कहकर संबोधित किया है। प्रदेश की जनता को उन्होंने अपमानित किया है। ऐसे में मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि वे इस विषय पर क्या सोच रहे हैं। मुख्यमंत्री चुप क्यों है।
सवाल इसलिए भी है कि टीएमसी आइएनडीआइए गठबंधन की सदस्य हैं और झामुमो भी इसका सदस्य है। मुख्यमंत्री को इस विषय को ममता बनर्जी के समक्ष उठाकर सांसद के खिलाफ कार्रवाई की मांग करनी चाहिए थी। राजनीति के लिए राज्य के लोगों के स्वाभिमान से समझौता किया जा रहा है।