बिजनौर। सपा की सामाजिक न्याय यात्रा का नारा था पीडीए। यानि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक। इन तीनों को न्याय दिलाने के बहाने सपा ने बसपा और भाजपा के वोटबैंक में सेंधमारी की कोशिश की है।
यात्रा ने हालांकि प्रदेश के 17 जनपदों में भ्रमण किया है, चूंकि बिजनौर में दोनों लोकसभा सीटों पर बसपा का कब्जा है। यहां अल्पसंख्यकों के साथ साथ दलित और पिछड़े खासी संख्या में हैं। इन्हें रिझाने के लिए यात्रा का केंद्रबिंदु बिजनौर को बनाया गया। यहां समापन के बहाने सपा प्रमुख जनसभा करेंगे और इन वोटरों को साधने की कोशिश करेंगे।
लोकसभा चुनाव के लिए की थी सामाजिक न्याय यात्रा की शुरुआत
लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। चुनाव की तैयारी को लेकर ही समाजवादी पार्टी के मुखिया तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा 16 नवम्बर को लखनऊ से सामाजिक न्याय यात्रा की शुरुआत की गई थी। जातिगत आंकडों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यात्रा का संयोजक नूरपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के विधायक राम अवतार सैनी को बनाया था।
सामाजिक न्याय यात्रा प्रदेश के 17 जिलों से होकर गुजरी। यात्रा में शामिल पार्टी पदाधिकारियों ने लोकसभा चुनाव को दृ़ष्टि में रखते हुए पीडीए मतदाताओं पर अपना पूरा फोकस रखा। यात्रा का उद्देश्य ही समाज के पिछड़े, दलित एवं मुस्लिम समुदाय को जागरूक कर एक प्लेटफार्म पर लाना था।
यात्रा का समापन स्थल नूरपुर में रखा
अखिलेख यादव ने एक सोची हुई रणनीति के तहत ही यात्रा का समापन स्थल नूरपुर में रखा हैं। उन्हें पता है कि नूरपुर में जनसभा के माध्यम से वह बिजनौर के साथ ही ,मुरादाबाद ,अमरोहा,सम्भल व रामपुर के मतदाताओं को पूरी तरह से जागरूक कर सकते है और साथ ही दलित व पिछड़ों तथा मुस्लिमों को एक साथ लाकर लोकसभा चुनाव में सफलता हासिल कर सकते हैं।
जनपद बिजनौर के मतदाता तीन लोकसभा प्रत्याशियों को जिताने में अहम भूमिका निभाते हैं। जनपद में सैनी समुदाय के मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख है। वहीं अमरोहा तथा मुरादाबाद में भी सैनी समुदाय के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। इस समुदाय के मतदाताओं को आकृर्षित करने के लिए ही उन्होंने यात्रा की कमान राम अवतार सैनी के हाथों में सौंपी थी। वह जानते हैं कि मुस्लिम के साथ ही दलित व पिछड़े वर्ग के सैनी समाज के मतदाता यदि एकजुट हो गए तो उनके विजय रथ को रोकना असंभव होगा।