नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन के कारण ओजोन परत के सुराख का आकार लगातार बढ़ रहा है। नए शोध में पिछले तीन वर्षों के दौरान अंटार्कटिक ओजोन छिद्र बढ़ने की बात सामने आई है। शोध में पाया गया है कि सार्वजनिक धारणा के विपरीत ओजोन परत में छिद्र पिछले तीन साल में सबसे बड़ा रहा है।
लगातार बढ़ रहा ओजोन लेयर का छिद्र
नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं ने कहा कि पिछले चार साल में अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन छिद्र उल्लेखनीय रूप से बड़ा हो गया है। इस अध्ययन के अनुसार, ओजोन लेयर में छिद्र लंबे समय तक बना रहा है। हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके लिए केवल क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) ही जिम्मेदार नहीं हैं। बता दें कि सीएफसी कार्बन, हाइड्रोजन, क्लोरीन और फ्लोरीन युक्त ग्रीनहाउस गैसों को कहा जाता है। माना जाता है कि ओजोन लेयर में सुराख का आकार लगातार बढ़ रहा है।
ओजोन सुराख का क्षेत्रफल बढ़ा
पृथ्वी के वायुमंडल में ओजोन परत लोगों को त्वचा रोग से बचाने में मदद करती है। सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (यूवी) विकिरण को रोकने में ओजोन लेयर काफी अहम भूमिका निभाते हैं। अध्ययन की मुख्य लेखिका हन्ना केसेनिच हैं। हन्ना न्यूजीलैंड के ओटागो विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कालर हैं। उन्होंने बताया कि अंटार्कटिक ओजोन परत का अध्ययन करने के दौरान रिसर्च टीम को 19 साल पहले की तुलना में छिद्र के केंद्र में बहुत कम ओजोन मिला। हन्ना केसेनिच ने कहा कि शोध के दौरान पाए गए तथ्यों का मतलब है कि ओजोन लेयर में सुराख क्षेत्रफल में बड़ा है।
दैनिक ओजोन परिवर्तन का विश्लेषण किया गया
रिसर्च टीम ने 2004 से 2022 की अवधि में मासिक और दैनिक ओजोन परिवर्तन का विश्लेषण किया। अंटार्कटिक ओजोन छिद्र के भीतर अलग-अलग ऊंचाई और अक्षांशों पर अध्ययन किया गया। रिसर्च कर रहीं केसेनिच ने कहा कि शोध के दौरान हमने ओजोन की परत कमजोर होने और अंटार्कटिका के ऊपर ध्रुवीय भंवर में आने वाली हवा में बदलाव के बीच संबंध का अध्ययन किया। इससे पता चलता है कि हाल के वर्षों में बड़े ओजोन छिद्र का कारण सिर्फ सीएफसी नहीं हो सकते।