बेंगलुरु। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ाने में निजी उद्योग एक अहम भूमिका निभाएंगे। बल्कि यह सरकारी रक्षा क्षेत्र की इकाइयों की भी उत्पादन क्षमता बढ़ाएंगे।
सिनर्जिया कॉन्क्लेव 2023 के एक सत्र में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए रविवार को एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि निजी उद्योग को भी यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वह उत्पादन क्षमता से तालमेल रखें, ताकि वायुसेना के आदेशों को समय पर पूरा किया जा सके। इस दिशा में काम करने के लिए वायुसेना की क्षमता बढ़ाने में निजी उद्योग की एक बड़ी भूमिका होगी।
उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि जब सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनियों को आर्डर दिए जाएंगे तो निजी क्षेत्र का मुख्य कार्य उपकरणों को जोड़ने (असेम्बल) करने का होगा। एक विमान को बनाने में उनके बड़े भागों और अतिरिक्त हिस्सों को जोड़कर एक पूरा विमान बनता है।
ऐसे में देश की निजी कंपनियां इन्हें अवयवों को जोड़ने का काम करेंगी। भारत की स्वदेशी क्षमता के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रमुख हिस्सों को स्वदेशी बनाना सुनिश्चित करने के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं। बनाए जा रहे स्वदेशी उपकरणों में रडार, एवियोनिक्स सिस्टम और इलेक्ट्रानिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सिस्टम्स में शामिल हैं।
इनके जरिये आत्मनिर्भरता को हासिल करने की कोशिश जारी है। उन्होंने कहा कि कुछ विदेशी उपकरणों के लिए भी आत्मनिर्भरता कुछ वर्षों में आ जाएगी। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना की उड़ानें विंटेज से अत्याधुनिक विमानों तक पर निर्भर हैं।
इनमें तीन बेड़े साठ साल से भी अधिक पुराने हैं। हम इस बात को समझते हैं कि पुरानी तकनीकों और प्रणालियों को पूरी तरह से बाहर नहीं किया जा सकता है इसलिए उन्हें नए मंचों और प्रणालियों से जोड़कर जारी रखने की जरूरत है।