भगवान को भक्त में अभिमान पसंद नहीं – कथा व्यास

अमेठी| भगवान को भक्त में अभिमान पसंद नहीं, रास के समय श्री कृष्ण ने गोपियों के माध्यम से यही शिक्षा दी कि जब हमारे अंदर अभिमान प्रवेश करता है तो हम भगवान से दूर होने लगते हैं ये बाते गाजनपुर गांव में कमला कांत सिंह के यहाँ चल रही संगीत मयी श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस शनिवार को अयोध्या धाम से पधारे कथा वाचक पंडित प्रवेश तिवारी जी महाराज ने कही।महाराज जी ने श्री कृष्ण एवं मां रूक्मणी के विवाह की कथा विस्तार से सुनाई।

इस दौरान कथा पंडाल में भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी सभी भक्तों के आकर्षण का केन्द्र रही तथा विवाह गीत से समस्त श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। कथावाचक पंडित प्रवेश तिवारी जी महाराज ने आगे बताया कि जो भक्त कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं और धूम धाम से मनाते हैंउनकी सम्पूर्ण मनोकामना पूर्ण होती है। रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि रुक्मणी के भाई रुक्मणि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था, लेकिन रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल श्याम सुंदर को पति के रूप में वरण करेंगी।

उन्होंने कहा शिशुपाल असत्य मार्गी है। द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्य मार्गी है अंत में भगवान श्री द्वारकाधीशजी ने रुक्मणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया। उन्हें धर्म पत्नी के रूप में वरण करके पटरानी का स्थान दिया रुक्मणी विवाह प्रसंग पर आगे कथावाचक ने कहा इस प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है।इस मौके पर राम दरश सिंह पूर्व पुलिस उपाधीक्षक राज कुमार सिंह प्रदीप सिंह थौरी संत शरण सिंह हरिद्वार सिंह राम प्रकाश सिंह शिवाकांत सिंह कृष्ण कुमार सिंह उत्तम यादव सहित काफी संख्या में श्रोता गण उपस्थित रहे।

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