जाने कैसे करते है खरना पूजा विधि

नई दिल्ली। छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। आज इस महापर्व का दूसरा दिन है। इस चार दिवसीय पर्व के दौरान छठी मैया और सूर्य देव की पूजा का विधान है। खरना की परंपरा छठ पूजा के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी गई है। इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है, जो साधक इस दौरान व्रत रखते हैं, उनके जीवन से संतान और धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।

छठ पूजा मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त – 04 बजकर 59 मिनट से 05 बजकर 52 मिनट तक

सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 45 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 09 बजकर 26 मिनट पर

खरना पूजा विधि
खरना पूजन के दिन सबसे पहले उपासक को स्नानादि से निवृत हो जाना चाहिए।
इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर साठी के चावल, गुड़ और दूध की खीर बनाना चाहिए।
भोग को सबसे पहले छठ माता को अर्पित करना चाहिए।
अंत में व्रती को प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
इस दिन एक समय ही भोजन का विधान है।
इसी दिन से ही 36 घंटे के लिए निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाती है।
छठ पूजा के चौथे दिन भोर में अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन किया जाता है।

खरना पूजा का महत्व
खरना का अर्थ है शुद्धता। यह दिन नहाए खाए के अगले दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन अंतर मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है। खरना छठा पूजा के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक हैं। ऐसा कहा जाता है, इसी दिन छठी मैया का आगमन होता है, जिसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है।

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