नई दिल्ली। इलाज में लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किए गए ग्रेटर कैलाश स्थित अग्रवाल मेडिकल सेंटर के संचालक डॉ. नीरज अग्रवाल का लाइसेंस दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) की कमेटी ने तीन बार निलंबित किया था।
फिर भी इन कार्रवाई के बाद उसके सेंटर में मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं रुका। हर बार कुछ समय के बाद लाइसेंस बहाल कर दिया गया।
जबकि इलाज में गंभीर लापरवाही हो और झोलाछाप की मदद लेकर फर्जीवाड़ा किया गया हो तो डॉक्टर का लाइसेंस हमेशा के लिए रद्द किया जा सकता है।
डीएमसी से जुड़े एक डॉक्टर ने बताई ये बात
डीएमसी से जुड़े एक डॉक्टर ने बताया कि हमेशा के लिए लाइसेंस रद्द करने का अधिकार पहले भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को था, अब यह अधिकार राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के पास है।
राज्य काउंसिल भी लापरवाही गंभीर होने पर लंबे समय के लिए लाइसेंस रद्द कर सकता है। इसके अलावा अस्पताल और नर्सिंग होम का लाइसेंस रद्द करने का अधिकार स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के नर्सिंग सेल के पास होता है।
नीरज अग्रवाल के सेंटर की मिलीं सात शिकायतें
डीएमसी के अनुसार डॉ. नीरज अग्रवाल और उनके सेंटर से संबंधित पहले सात शिकायतें मिली थीं। जिसमें छह मामलों का निपटारा हो चुका है। एक मामला लंबित है।
चार मामलों में कार्रवाई हुई और दो मामले कोरोना के दौरान के थे। इस दो मामलों में कार्रवाई नहीं हुई। कल्याण पूरी ईस्ट की रहने वाली सपना की मौत के मामले में डीएमसी ने माना था कि उनके इलाज में लापरवाही हुई थी।
इस वजह से डॉ. नीरज अग्रवाल का लाइसेंस 90 दिन के लिए निलंबित किया गया था। एक अन्य मामले में फर्जी मेडिकल प्रमाणपत्र बनाने के आरोप में अदालत के निर्देश उसका लाइसेंस एक माह के लिए निलंबित किया गया था।
2014 में लगा था ये आरोप
इसके अलावा वर्ष 2014 में प्रहलादपुर के रहने वाले शशि भूषण ने पत्नी के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। तब इस मामले में डीएमसी की कमेटी ने डॉ. नीरज अग्रवाल का लाइसेंस एक माह के लिए निलंबित करने का फैसला लिया था, लेकिन बाद में चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था। जिसे एमसीआइ में चुनौती दी गई थी। यह मामला अभी एनएमसी में लंबित बताया जा रहा है।
डॉ. नीरज अग्रवाल के पिता पर भी लग चुके हैं आरोप
डीएमसी के रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी ने कहा कि एक अन्य मामले में डॉ. नीरज अग्रवाल के पिता एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. डीके अग्रवाल का लाइसेंस एक सप्ताह के लिए निलंबित किया गया था। उन मामलों में उसके मेडिकल सेंटर में झोलाछाप से इलाज कराने की बात सामने नहीं आई थी।
पुलिस ने हाल ही में उसके खिलाफ नौ शिकायतें भेजी हैं। जिसमें से तीन मामलों का पहले ही निपटारा हो चुका है। छह नए मामले हैं। पुलिस से इसकी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। इस आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।