हर पैरेंट अपने बच्चे की बेहतरीन परवरिश करना चाहते हैं। वे अपने बच्चों को अनुशासित, शांत और बात मानने वाला बनाना चाहते हैं। कई बार लाड़ दुलार के कारण बच्चा जरूरत से ज्यादा जिद्दी हो जाता है। उसकी छोटी सी बात भी मानने पर वो चिड़चिड़ा और ज़िद्दी बन जाता है और रोना धोना शुरू कर देता है। कई बार तो बच्चे इतने चिड़चिड़ा हो जाते हैं कि कुछ टोकने या समझाने पर उल्टा बहस करने लगते हैं। अगर आपके बच्चे में भी बहस करने की आदत नजर आ रही है तो तुरंत सतर्क हो जाएं। समय रहते इस आदत को सुधारना जरूरी है।
बच्चों से डील करने के लिए कुछ टिप्स:
हर डिमांड पूरा करने की जरूरत नहीं
अगर बच्चा अपनी डिमांड पूरी नहीं होने पर जिद करता है और रोना धोना करता है तो घबराकर उसकी बात नहीं माने। ऐसे समय में उसे थोड़ी देर के लिए छोड़ दें और शांत होने पर बताएं कि क्यों उसकी डिमांड पूरी नहीं हो सकती है।
दूसरे के सामने गुस्सा न जताएं
बच्चों पर दूसरों के सामने गुस्सा नहीं जताना चाहिए। जिस तरह हमें अपने उपर किसी का चिल्लाना पसंद नहीं होता है वैसे ही बच्चों को भी यह अच्छा नहीं लगता है। बेहतर होगा कि खुद पर कंट्रोल रखें और बच्चे को अलग ले जाकर बात करें।
चिड़चिड़ापन की वजह जानिए
कभी कभी बच्चे जिस चीज के लिए परेशान कर रहे होते हैं वो असल वजह नहीं होती है। बच्चे किसी फिजिकल या मेंटल परेशानी के कारण भी चिड़चिड़े हो सकते हैं लेकिन उन्हें अपनी फीलिंग बताने में परेशानी होती है। ऐसे में बच्चे की परेशानी का कारण समझने की कोशिश करनी चाहिए।
खुद भी अनुशासन का पालन करें
अगर आप अपने बच्चे को अनुशासित बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद में यह गुण विकसित करें। बच्चे सबसे ज्यादा अपने पेरेंट से सीखते हैं। अपने आसपास में हो रही चीजें खुद ही उनमें आ जाती हैं।
बेहतर बॉन्ड बनाएं
बच्चे के साथ अपना रिश्ता बेहतर करने के उनके साथ खेलना और वक्त गुजारना चाहिए। पेरेंट और बच्चे में बेहतर रिश्ता बनने पर बेवजह की जिद और बहस में कमी आ सकती है।