प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आगरा के दयालबाग स्थित राधा स्वामी सत्संग भवन ध्वस्तीकरण मामले में तहसीलदार के आदेश को रद कर दिया है।
कोर्ट ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करके नए सिरे से पक्ष सुनकर आदेश पारित करने की छूट दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम ने राधा स्वामी सत्संग सभा की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के बाद बीते 16 अक्टूबर को निर्णय सुरक्षित कर लिया था।
15 दिन की मांगा था समय
याचिका में कहा गया था कि याची को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया जबकि नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय मांगा गया था, लेकिन 24 सितंबर को शाम चार बजे तक जवाब दाखिल करने का मौका दिया गया। यह भी कहा गया था कि तहसीलदार ने आदेश करते समय याची की आपत्तियों पर विचार नहीं किया।
सत्संग सभा की जमीन को जबरन खाली करा रही प्रशासन
राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया गया है। इस कारण कार्यवाही की गई। याची का कहना था कि प्रशासन जिस जमीन को जबरन खाली कर रहा है, वह सत्संग सभा के नाम से है।
प्रशासन ने मनमाने तरीके से न सिर्फ बुलडोजर चलाया, बल्कि सत्संगियों पर लाठीचार्ज भी किया। याचिका के साथ 1935 से 2012 तक हुए सभी एग्रीमेंट, लीज डीड व आदेशों की कापी लगाई गई थी। इसके साथ 19 सितंबर 2023 को तहसीलदार के नोटिस का जबाब व संबंधित भूखंडों के राजस्व रिकार्ड भी याचिका में संलग्न किए गए।
सरकार की ओर से खसरा खतौनी के अलावा अन्य राजस्व रिकार्ड और दो दर्जन से ज्यादा पेजों का जवाब के अलावा पुलिस के साथ हुई मारपीट के फोटोग्राफ लगाए गए थे।
यह था मामला
गौरतलब है कि आगरा के दयालबाग में जमीन खाली कराने के दौरान हिंसा हुई थी। सत्संगियों की ओर से पथराव किया गया था जबकि पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। लाठीचार्ज में लगभग 50 सत्संगी घायल हुए। साथ ही पथराव में कई पुलिस वालों को भी चोटें आयी थीं।