सीतापुर। पोषण संवेदनशील कृषि संसाधन और नवाचार योजनांतर्गत जागरूकता कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया, सीतापुर की गृह वैज्ञानिक डॉ रीमा ने बताया कि शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार का लंबे समय तक नहीं मिल पाना ही कुपोषण है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। कुपोषण सबसे अधिक बच्चों और महिलाओं को प्रभावित करता है। बच्चों में होने वाले रतौंधी, रिकेट्स, स्कर्वी, मारासमस आदि रोग व महिलाओं में होने वाली रक्त अल्पता (एनीमिया) या गेंघा रोग समेत कई रोगों का कारण भी कुपोषण है। पोषण वाटिका को यदि में लगी सब्जियां ना सिर्फ आपको बिना पैसे के मिलेंगी साथ ही साथ वो कीटनाशक रहित यानि पूरी तरह जैविक होंगी जो आपको सेहतमंद बनाएंगी।
पोषण वाटिका का मकसद रसोईघर के पानी व कूड़ा करकट का इस्तेमाल कर के घर की फल व साग सब्जियों की दैनिक जरूरतों को पूरा करना है|
आजकल बाजार में बिकने वाली चमकदार फल सब्जियों को रासायनिक उर्वरक प्रयोग कर के उगायाजाता है| रसायनों का इस्तेमाल खरपतवार, कीड़े व बीमारियों रोकने के लिए किया जाता है| इन रासायनिक दवाओं का कुछ अंश फल सब्जी में बाद तक बना रहता है, जिस के कारण उन्हें इस्तेमाल करने वालों में बीमारियाँ से लड़ने की ताकत कम होती जा रही हैं| इसके अतिरिक्त फलों व सब्जियों के स्वाद में अंतर आ जाता है, इसलिए हमें अपने घर के आंगन या आसपास की खाली जगह में छोटी छोटी क्यारियां बना कर जैविक खादों का इस्तेमाल कर के रसायन रहित फल सब्जियों को उगाना चाहिए|
स्थान का चयन
इस के लिए स्थान चुनने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती, क्योंकि अधिकतर ये स्थान घर के पीछे या आसपास ही होते हैं| घर से मिले होने के कारण थोड़ा कम समय मिलते पर भी कम करने में सुविधा रहती है|
पोषण वाटिका के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए, जहाँ पानी पर्याप्त मात्रा में मिल सके, जैसे नलकूप या कूएँ का पानी, स्नान का पानी, रसोईघर में इस्तेमाल किया गया पानी पोषण वाटिका तक पहुँच सके| स्थान खुला हो ताकि उस में सूरज की भरपूर रोशनी आसानी से पहुँच सके| ऐसा स्थान हो, जो जानवरों से सुरक्षित हो और उस स्थान की मिट्टी उपजाऊ हो|
पोषण वाटिका का आकार
जहाँ तक पोषण वाटिका के आकार का संबंध है, तो वह जमीन की उपलब्धता, परिवार के सदस्यों की संख्या और समय की उपलब्धता पर निर्भर होता है। घर के आसपास की खाली पड़ी हुई जगह में पोषण वाटिका लगाकर अगर सही तरीके से सब्जियों की बुवाई की जाए तो 5-6 लोगों के परिवार के लिए पूरे हफ्ते की रोज ताजी सब्जियां मिल सकती हैं।
उन्होंने बताया कि पोषण वाटिका को लगाने के लिए २५ महिलाओ को चयनित किया गया है जिसके माध्यम से वो अपनी जरुरत के अनुसार पूरे साल की सब्जियों की पैदावार ले सकती है। केंद्र के कृषि वैज्ञानिको की देखरेख में पोषण वाटिका में सब्जियाँ लगाई जाएँगी। समय-समय पर निगरानी कर केंद्र के वैज्ञानिक जानकारी देंगे। सब्जियों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए जैविक उर्वरको एवं खादों का प्रयोग किया जायेगा। विभिन्न वर्गों की सब्जियों के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता अलग-अलग होती है| टमाटर, शिमला मिर्च तथा बैंगन वर्गीय सब्जियां मिट्टी से अधिक मात्रा में पोषक तत्व अवशोषित करती हैं|