पटियाला। पंजाब में आठ दिन में पराली जलाने की गति 25 गुना बढ़ गई है। राज्य में 28 अक्टूबर को पराली जलाने के कुल 127 मामले सामने आए थे।
यह संख्या 29 अक्टूबर को बढ़कर 1,068 हो गई थी। रविवार को इस सीजन में सबसे अधिक 3,230 मामले सामने आए। सबसे ज्यादा 551 मामले मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले में दर्ज हुए थे।
संगरूर में सबसे ज्यादा जलाई गई पराली
सोमवार को पराली जलाने के मामलों में कमी आई और कुल 2,060 मामले सामने आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 509 मामले केवल संगरूर से हैं। अब संगरूर में पराली के जलाने के कुल 3,207 मामले हो गए हैं, जो कि राज्य में सबसे अधिक हैं।
इसके अलावा 1,976 मामलों के साथ फिरोजपुर दूसरे, 1,809 मामलों के साथ तरनतारन तीसरे, 1,451 मामलों के साथ मानसा चौथे और 1,439 मामलों के साथ अमृतसर पांचवें स्थान पर है।
17,403 पराली के मामले आए सामने
राज्य में इस बार छह नंवबर तक पराली जलाने के 17,403 मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, यह आंकड़ा पिछले वर्ष इस तिथि के मुकाबले कम है। पिछले वर्ष इस अवधि तक 29,999 मामले आए थे। वर्ष 2021 में पराली जलाने के आंकड़े 32,734 थे।
वायु की गुणवत्ता भी हुई खराब
राज्य में पराली जलाने के मामले बढ़ने के साथ ही वायु की गुणवत्ता भी खराब हुई है। राज्य के सभी शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) खराब कैटेगरी में शामिल हो चुका है।
अमृतसर और बठिंडा का एक्यूआई बहुत खराब कैटेगरी में दर्ज किया गया है। इसके तहत एक्यूआई 333 के साथ सोमवार को अमृतसर राज्य में सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा।
सांसों पर छाया संकट
वहीं, एक्यूआई 306 के साथ बठिंडा दूसरे, 287 के साथ लुधियाना तीसरे, 275 के साथ मंडी गोबिंदगढ़ चौथे, 241 के साथ जालंधर पांचवें, 230 के साथ खन्ना छठे और 223 के साथ पटियाला सातवें स्थान पर रहा।
हवा की गुणवत्ता खराब होने के कारण सांसों पर संकट छा गया है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। यही स्थिति रही तो आगे संकट और गहरा सकता है।
संगरूर में ज्यादा जलती है पराली
राज्य में पराली (Stubble Burning in Punjab) जलाने के मामलों की बात करें तो संगरूर हर वर्ष शीर्ष पर ही रहा है। इसका कारण यह है कि संगरूर में किसान धान की पीली पूसा और पूसा 44 किस्म की खेती करते हैं।
यह फसल आम धान की फसल के मुकाबले पकने के लिए करीब एक से डेढ़ महीना ज्यादा समय ज्यादा लेती है। इसकी कटाई के समय पराली भी दूसरे जिलों के मुकाबले ज्यादा उत्पन्न होती है।
2.39 लाख हेक्टेयर रकबे में होती है धान की खेती
इसके अलावा संगरूर जिले में लगभग 2.39 लाख हेक्टेयर रकबे में धान की खेती होती है और लगभग 15 मीट्रिक टन पराली उत्पन्न होती है, जोकि राज्य में सबसे ज्यादा है।
मुख्य कृषि अधिकारी हरबंस सिंह ने बताया कि पराली जलाने के मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से जहां जागरूकता कैंप लगाए जा रहे हैं। वहीं, पिछले पांच वर्षों के दौरान जिले में करीब दस हजार कृषि उपकरण भी सब्सिडी पर किसानों को उपलब्ध करवाए जा चुके हैं।