फसल अवशेष/पराली को किसान भाई कदापि न जलाएं
कृषक पराली अपने नजदीकी गौशाला में दे कर प्राप्त करें गोबर की खाद
अमेठी। जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने बुधवार को कलेक्ट्रेट परिसर से प्रमोशन ऑफ़ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन इन सीटू मैनेजमेंट ऑफ़ क्रॉप रेज्डयू योजना अंतर्गत किसानों को पराली प्रबंधन के संबंध में जागरूक करने हेतु जन जागरूकता प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। बताते चलें कि यह जन जागरूकता वाहन क्षेत्रीय ग्रामीणजनों को पराली के सदुपयोग व प्रबंधन आदि की जानकारी उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि कृषक फसल कटाई के उपरांत पराली तथा अन्य फसलों के अवशेषों को खेत में कदापि ना जलाएं।
फसल अवशेष खेत में जलाना मानवता के प्रति अपराध होने के साथ-साथ हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी नुकसान पहुंचाता है, इससे फसल के उत्पादन में कमी आती है तथा कृषि की लागत भी बढ़ती है।
उन्होंने कहा की फसल अवशेष को खेत में जलाने से पर्यावरण संतुलन बिगड़ने से जनजीवन भी प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है इसलिए हम सभी का यह कर्तव्य है कि पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने तथा भावी पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराने के लिए किसी भी दशा में फसल अवशेष ना जलाएं। फसल अवशेष को जलाने से फसल को प्राकृतिक रूप से मिलने वाले तत्वों की कमी से खेत अनुउपजाऊ व बंजर हो जाते हैं तथा फसल में विभिन्न प्रकार के रसायनों का प्रयोग करना पड़ता है जिससे लागत अधिक व मुनाफा कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि फसल कटाई के उपरांत पराली व अन्य फसल अवशेष प्रबंधन हेतु कृषि मशीनों का प्रयोग कर उसे मिट्टी में पलट दें अथवा बेस्ट डीकंपोजर का प्रयोग कर खेत में ही सड़ा दे जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ने के साथ ही उर्वरक आदि जैसे रसायनों पर रुपए को व्यय नहीं करना पड़ता साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशानुसार फसल अवशेष जलाना दंडनीय अपराध है।
उन्होंने कहा कि दो एकड़ तक रुपए 2500, 2 से 5 एकड़ तक रुपए 5000 तथा उससे अधिक रकबे की फसल अवशेष जलाने पर रुपए 15000 जुर्माने के साथ कारावास की सजा का प्रावधान है तथा फसल अवशेष जलाने पर शासन की तरफ से मिलने वाली विभिन्न योजनाओं का लाभ/अनुदान, किसान सम्मान निधि से वंचित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान भाई पर्यावरण की सुरक्षा, खेत की उर्वरा शक्ति, मिट्टी की सेहत, पोषक तत्व एवं सूक्ष्मजीवों के साथ आने वाली पीढ़ी का भविष्य नष्ट न करें।
उप कृषि निदेशक ने बताया कि किसान भाई अपने खेतों में पराली ना जलाकर पराली अपने नजदीकी गौशाला पर देकर उसके बदले में वहां से गोबर की खाद प्राप्त कर सकतें हैं। उप कृषि निदेशक ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन हेतु जिलाधिकारी महोदय के निर्देश में जनपद में फसल अवशेष प्रबंधन हेतु जन जागरुकता हेतु व्यापक रूप से प्रचार प्रसार विभिन्न माध्यमों से कराए जा रहे हैं।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जनपद के समस्त कंबाइन हार्वेस्टर मालिकों को निर्देशित किया गया है कि बिना सुपर एक्स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम अथवा अन्य प्रणाली प्रबंधन यंत्र के साथ फसल की कटाई ना करें यदि कोई कंबाइन हार्वेस्टर मलिक उपरोक्त निर्देश का अनुपालन नहीं करता है तो उसके विरुद्ध विधि कार्यवाही की जाएगी। इस अवसर पर इस अवसर पर अतिरिक्त मजिस्ट्रेट प्रतीक्षा पांडेय, उप कृषि निदेशक डॉक्टर एल बी यादव, जिला कृषि अधिकारी रविकांत सिंह सहित अन्य संबंधित मौजूद रहे।