भारतीय रेलवे में टीटीई द्वारा अपनी तय ड्यूटी में लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है। इस वजह से रेलवे को करीब आठ करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। उस नुकसान की कोई भरपाई भी नहीं हो सकी। सूत्रों का कहना है कि वह नुकसान अभी तक जारी है। दरअसल रेलवे की दिल्ली डिवीजन में टिकट जांचने वाले कई टीटीई ने अपनी ड्यूटी ठीक तरह से नहीं की। जहां पर उनकी ड्यूटी थी, वहां पर हजारों लोग बिना टिकट यात्रा करते रहे। इस साल के व्यस्त सीजन यानी अप्रैल, मई व जून के दौरान बिना टिकट यात्रा करने वालों की मौज रही। बेटिकट यात्रियों पर जुर्माना करने से रेलवे के खजाने में जो राशि जमा होती है, उसमें गत वर्ष के मुकाबले इस बार के तीन माह में लगभग 35 फीसदी की गिरावट आ गई।
ड्यूटी में लापरवाही से हुआ करोड़ों रुपये का नुकसान
सूत्रों के मुताबिक, ट्रेनों में बिना टिकट यात्रा करने वाले लोगों को पकड़ने के लिए बड़े स्तर पर टीटीई की तैनाती की गई है। सभी टीटीई को उनकी ड्यूटी का दायरा बता दिया जाता है। कुछ टीटीई रेलवे स्टेशन पर टिकट जांचते हैं, तो अन्य को ट्रेनों के भीतर जांच का काम दिया जाता है। विशेष दस्ते भी होते हैं, जो किसी भी ट्रेन या स्टेशन पर औचक चेकिंग करते हैं। रेलवे अधिकारियों ने जब बिना टिकट यात्रा करने वाले लोगों से वसूले गए जुर्माने का हिसाब किताब लगाया तो वे हैरान रह गए। पिछले साल की तुलना में इस बार जुर्माने की राशि में कमी देखने को मिली। रेलवे को हर माह करोड़ों रुपये का नुकसान होता रहा। जांच में कई टीटीई ऐसे मिले, जिन्होंने अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरती। गंभीरता के साथ बेटिकट यात्रियों की जांच नहीं की गई। नतीजा, रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
कहां पर ड्यूटी दे रहे थे छह दर्जन टीटीई
रेलवे के दिल्ली मंडल के अंतर्गत लगभग आठ सौ कर्मचारियों को टिकट जांच का काम सौंपा गया है। इनमें से साढ़े तीन सौ कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें ट्रेनों में ड्यूटी देनी होती है। यानी वे ट्रेन में बेटिकट यात्रियों को पकड़ते हैं। इतने ही कर्मचारियों को दिल्ली मंडल के तहत विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर तैनात किया गया है। करीब अस्सी कर्मचारी, विशेष दस्ते में शामिल हैं। ये दिल्ली मंडल के तहत औचक निरीक्षण करते हैं। रेलवे अफसरों की जांच बताती है कि करीब छह दर्जन कर्मियों ने अपनी ड्यूटी ठीक तरह से नहीं की। जहां उनकी तैनाती थी, वहां पर बेटिकट यात्रियों की मौज रही। वजह, उन्हें पकड़ने वाला कोई नहीं था। सूत्रों का कहना है कि उन कर्मियों में से बहुत से ऐसे भी थे, जो खेल कोटे से आते हैं। कुछ कर्मचारी, किसी अधिकारी या दूसरी इकाई के साथ अटैच हो जाते हैं। हालांकि रेलवे बोर्ड का यह स्पष्ट आदेश है कि टिकट जांच के काम में लगे स्टाफ को दूसरी ड्यूटी में न लगाया जाए। इससे टिकट जांच का कार्य प्रभावित होता है।
इसके बावजूद ऐसे कर्मियों पर रहा सॉफ्ट कॉर्नर
अपनी तय ड्यूटी को गंभीरता से नहीं लेने वाले कर्मियों की जानकारी, रेलवे में विभिन्न स्तरों पर रही है। हालांकि खेल कोटे या किसी अन्य कारण से उनके प्रति सॉफ्ट कॉर्नर का भाव रहा। रोजमर्रा की ड्यूटी के दौरान उन पर सख्ताई नहीं हो सकी। एक अधिकारी ने बताया, ऐसे कर्मियों के मामले तकरीबन सभी जगहों पर देखने को मिल जाते हैं। रेलवे बोर्ड की तरफ से सख्त हिदायत जारी होती रहती है। अब जुर्माना राशि में बड़ा अंतर आने लगा है, तो दोबारा से सख्ती की जा रही है। टिकट जांच के काम में लगे कर्मचारी, दूसरी ड्यूटी पर नहीं भेजे जाएंगे। पिछले साल दिल्ली मंडल में बेटिकट यात्रियों पर जुर्माने करने से रेलवे के खाते में 68 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे। अगर व्यस्त सीजन यानी अप्रैल से जून माह तक की बात करें, तो 23 करोड़ रुपये, बतौर जुर्माना वसूले गए। इस साल के व्यस्त सीजन में वह जुर्माना राशि 15 करोड़ रुपये पर सिमट गई। अप्रैल 2022 में जुर्माना राशि 9.10 करोड़ रुपये रही, जबकि इस साल उस राशि का ग्राफ 4.10 करोड़ रुपये तक ही पहुंच सका। पिछले साल मई में 7.80 करोड़ रुपये एकत्रित हुए थे, मगर इस वर्ष यह राशि 5.50 करोड़ रुपये से आगे नहीं बढ़ सकी। इसी तरह गत वर्ष जून की बात करें, तो बेटिकट यात्रियों से 6.10 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया था, लेकिन 2023 में यह राशि 5.40 करोड़ रुपये रही है।