अलास्का। हाल के वर्षों में अलास्का के आसपास के समुद्र से अरबों बर्फीले केकड़े गायब हो गए हैं। समुद्र से अचानक केकड़े गायब होने पर वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र के गर्म तापमान के कारण संभवतः उनकी मौत हो गई है।यह रिपोर्ट तब सामने आई है जब हाल ही में मछली और खेल विभाग ने कहा था कि बेरिंग सागर के ठंडे पानी से भारी संख्या में केकड़े गायब हो रहे हैं। क्योंकि पिछले दो साल से मौसम की वजह समुद्र में तापमान काफी बढ़ा है और लगातार बर्फ पिघल रहे हैं।
नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के वैज्ञानिकों द्वारा गुरुवार को प्रकाशित अध्ययन में पूर्वी बेरिंग सागर में हाल की समुद्री गर्मी और 2021 के सर्वेक्षणों में दिखने लगे बर्फीले केकड़ों के अचानक गायब होने के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध पाया गया।
एनओएए में अध्ययन के प्रमुख लेखक और मत्स्य जीवविज्ञानी कोडी स्ज़ुवाल्स्की ने कहा, ‘जब मुझे पहली बार सर्वे से 2021 का डेटा मिला, तो मेरा दिमाग चकरा गया। हर कोई उम्मीद और प्रार्थना कर रहा था कि इस सर्वे का रिपोर्ट गलत साबित हो जाए। जिससे अगले साल समुद्र में बड़ी संख्या में केकड़े देखने को मिले।’
स्ज़ुवाल्स्की ने सीएनएन को बताया, ‘अलास्का में 2022 में पहली बार अमेरिकी बर्फ केकड़ा मत्स्य पालन बंद किया गया।’ विशेषज्ञों ने सीएनएन को बताया, ‘समुद्र में बर्फीले केकड़ों की जनसंख्या में गिरावट के लिए अत्यधिक मछली पकड़ने वालों को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन “अत्यधिक मछली पकड़ना” एक तकनीकी परिभाषा है जो संरक्षण उपायों को परिभाषित करती है – यह वास्तव में गिरावट की व्याख्या नहीं करता है।
अलास्का के आसपास के समुद्रों से 2020 से बर्फीले केकड़े गायब हो रहे हैं। इसके लिए वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया। इसके लिए वैज्ञानिकों ने अध्ययन को दो श्रेणियों में बांटा – बर्फ के केकड़े या तो कहीं चले गए या फिर समुद्र में तापमान की वजह से मर गए।
स्ज़ुवाल्स्की ने सीएनएन से कहा, बेरिंग सागर के उत्तर में, पश्चिम में रूसी जल की ओर और यहां तक कि महासागरों के गहरे स्तरों में सर्वे किया गया। सर्वे के निष्कर्ष में हमने पाया कि केकड़े एक स्थान से किसी दूसरे स्थान पर नहीं गए हैं। उनकी समुद्री तापमान की वजह से मौत हो गई है।
अध्ययन के अनुसार, हिम केकड़े ठंडे पानी की प्रजातियां हैं और उन क्षेत्रों में भारी मात्रा में पाए जाते हैं जहां पानी का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे है, हालांकि वे 12 डिग्री सेल्सियस तक पानी में जीवित रह सकते हैं। गर्म समुद्र के पानी ने संभवतः केकड़ों के चयापचय पर कहर बरपाया और उनकी कैलोरी आवश्यकताओं में काफी वृद्धि की। जिससे उनकी मौत हो गई।
स्ज़ुवाल्स्की ने कहा कि अलास्का के केकड़ों के साथ जो हो रहा है वह इस बात का सबूत है कि जलवायु संकट तेजी से बढ़ रहा है और आजीविका को प्रभावित कर रहा है। वह जानता था कि ऐसा हो सकता है, लेकिन उसने इतनी जल्दी ऐसा होने की उम्मीद नहीं की थी।
वहीं, वैज्ञानिकों ने बताया है कि आर्कटिक के आसपास का तापमान ग्रह के बाकी हिस्सों की तुलना में चार गुना तेजी से गर्म हुआ है। जिसकी वजह से जलवायु परिवर्तन ने आर्कटिक क्षेत्र में समुद्री बर्फ को तेजी से नुकसान पहुंचाया है। विशेष रूप से अलास्का के बेरिंग सागर में जलवायु परिवर्तन की वजह से बर्फ को नुकसान पहुंचा है। इस परिवर्तन ने ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा दिया है।