कानपुर:– पेंटिंग का काम खत्म करके बाइक से घर लौट रहा युवक जीटी पर खड़े सांड से टकरा गया। इस दौरान सांड ने उसे उठाकर कई बार सड़क पर पटक-पटक कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। किसी तरह राहगीरों ने ड़ंडा और पानी डालकर उसे छुड़ाया।
इसके बाद नाजुक हालत में उसे एंबुलेंस से हैलट अस्पताल भिजवाया जहां इलाज के दौरान युवक ने दम तोड़ दिया। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने जांच कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
बिठूर थानाक्षेत्र में नुनहा गांव चौबेपुर निवासी राजन का 35 वर्षीय पुत्र मनोज कुमार पेंटिंग का काम करता था। उसकी पत्नी सुनैना और अन्य परिजनों ने बताया कि इन दिनों उनका कल्याणपुर में कहीं पेंटिंग का काम चल रहा था। यहां से वह शुक्रवार शाम करीब सात बजे बाइक से लौट रहे थे। अभी वह आईआईटी के आगे पहुंचे ही थे कि सामने जीटी रोड पर खड़े सांड ने टकरा गए।
इस दौरान वह गिरकर चुटहिल हो गए। तभी सांड ने उसे उठाकर सड़क पर कई बार पटका। यह नजारा देख कुछ मिनट के लिए यातायात रुक सा गया। जीटी रोड से गुजर रहे लोगों ने किसी तरह पास पड़े ईंट-पत्थर सांड पर फेंके। इसके बाद डंडे और पानी डाला। तभी कहीं जाकर सांड सड़क किनारे भाग निकला। नाजुक हालत में हैलट अस्पताल पहुंचाया गया। जहां इलाज के दौरान युवक की शनिवार सुबह मौत हो गई।
घटना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। बेटी शगुन बार-बार पापा को पूछती नजर आई। जिसके बाद परिजनों ने उसे दूसरी बातें बताने लगे। मालूम हो कि अभी हाल ही मैं 26 जुलाई को बादशाहीनाका में घर लौट रही वृद्धा को सांड ने गंभीर रूप से घायल कर दिया था। जहां हैलट अस्पताल में उनकी दूसरी दिन मौत हो गई थी।
कानपुर के ‘कातिल’ जानवर
अगर आप घर से बाहर पैदल निकले या बाइक से तो होशियार और चौकन्ना रहें। क्योंकि शहर के पॉश एरिया हों या फिर आउटर, हर सड़क पर आवारा जानवरों का कब्जा है। जरा सी चूक पर ये जानवर आपके लिए जानलेवा हो सकता है। बारिश के मौसम में शहर की सड़कों पर एकाएक आवारा जानवरों की तादाद बढ़ गई है। किसी भी सड़क पर देखिए आपको गाय, सांड, सुअर आदि के झुंड घूमता मिल जाएंगे।
नगर निगम का कैटिल कैचिंग दस्ता केवल सफेद हाथी साबित हो रहा है। शहर में सालों से यह समस्या शहरवासी झेल रहे हैं। दर्जनों लोग इन आवारा जानवरों के कारण मौत के मुंह में जा चुके हैं लेकिन बड़े-बड़े दावे करने वाला नगर निगम इन जानवरों से मुक्ति के लिए कोई प्लान नहीं तैयार कर सका है। कानपुर के जानवर पूरी तरह से कातिल हो चुके हैं। अमृत विचार की पड़ताल में हकीकत सामने आ गई। ये घटनाएं केवल एक बानगी हैं, आवारा जानवर कितनों को लील चुके यह आंकड़े जिम्मेदारों के पास हैं ही नहीं।
कागजों पर अभियान, शहर बना चिड़ियाघर
शहर में बेसहारा पशुओं की महफिल सजती है। जिससे सड़कें चिड़ियाघर जैसी लगती हैं। इसमें बेसहारा मवेशियों के साथ पालतू गाय भी शामिल हैं। जिसकी वजह से शहर में जाम तो लग रहा है, इसके साथ ही दुर्घटनाओं हो रही हैं। हालांकि, पिछले दिनों शासन के निर्देश पर नगर निगम ने अभियान चलाकर बेसहारा पशुओं को पकड़ा था, और नियमानुसार कार्रवाई भी की लेकिन पूरे शहर में सही से अभियान न चलने की वजह से समस्या बनी हुई है।
गोविंद नगर, फजलगंज, शास्त्रीनगर, सर्वोदय नगर, स्वरूप नगर, सिविल लाइंस, ग्वालटोली, बादशाहीनाका, रामादेवी क्षेत्रों में व्यस्तम सड़कों पर गाय और साड़ सड़कों पर बैठे रहते हैं। जिससे जाम के साथ दिन में कई राहगीर दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं।
जिससे मौत तक हो रही है। बता दें कि शहर में बेसहारा पशुओं और पालतू गायों को सड़कों से उठाकर गौशालयों में भेजने के निर्देश दिए गए हैं। महापौर ने कैटिल कैचिंग दस्ते को मवेशियों को जब्त करने को कहा है। प्रतिदिन 200 मवेशियों को रोजाना पकड़ने के निर्देश भी हैं। जुर्माना देकर छोड़ने के प्रावधान को भी खत्म कर दिया गया है। लेकिन, विभागीय कार्रवाई न होने की वजह से घटनाएं हो रही हैं।