नवरात्र में सभी शुभ कार्य संपन्न किए जाते हैं. लेकिन इस दौरान शादी नहीं होती है. दरअसल शास्त्रों में नवरात्र में शादी जैसे मांगलिक कार्य को अच्छा नहीं माना गया है. इसके अलावा कलश में उपजने वाले जौ से लेकर कन्या भोजन से जुड़ी भी कई मान्यताएं हैं.
इस साल शारदीय नवरात्रि रविवार से शुरू हो रही है. इस बार माता हाथी पर आ रही हैं. हाथी पर माता रानी का आगमन शुभ है. साथ ही ये अधिक वर्षा का संकेत भी देता है.
नवरात्रि को यूं तो शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है. इस दौरान सभी घरों में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्रि में गृह प्रवेश, भूमि पूजन, नामकरण जैसे शुभ कार्य भी किए जाते हैं. ऐसी मान्यता भी है कि नवरात्र के दौरान पूजा-पाठ करने से उसका कई गुना फल प्राप्त होता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र में मां दुर्गा भक्तों के घर में वास करती हैं. इस दौरान भक्तों के द्वारा पवित्रता और शुद्धता के साथ मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. पंडित शशिभूषण बताते हैं कि चुकी विवाह संतान की उत्पत्ति और वंश की वृद्धि के भाव से किया जाता है, इसलिए ये निषिद्ध है. धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्र में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए. इसी वजह से नवरात्र में शादी-विवाह संपन्न नहीं होते हैं.
दुर्गा पूजा के दौरान 09 दिनों तक पूर्ण पवित्रता और सात्विकता बनाए रखते हुए देवी के नौ स्वरूपों की आराधना होती है. इस दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता के लिए व्रत रखे जाते हैं. यही कारण है इन दिनों में लोग सात्विक भोजन ही करते हैं और मांस-मदिरा आदि से परहेज करते हैं.
ऐसी मान्यता है कि जब सृष्टि की शुरुआत हुई थी, तो पहली फसल जौ ही थी. इसलिए इस दौरान रोपे गए जौ यदि तेजी से बढ़ते हैं, तो घर में सुख-समृद्धि तेजी भी से बढ़ती है.
शास्त्रों के अनुसार कुंवारी कन्याएं माता के समान ही पवित्र व पूजनीय होती हैं. दो से लेकर दस वर्ष तक की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप ही मानी जाती हैं. यही कारण है कि नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं का विधिवत पैर पूजन कर उन्हें श्रद्धा के साथ भोजन कराया जाता है.